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लोकसभा में बुधवार को पेश हो सकता है पुनर्गठन संवैधानिक संशोधन विधेयक, 6 साल बाद J&K को राज्य का दर्जा मिलने की उम्मीद

विधेयक की वास्तविक मंशा और दायरा अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं

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केंद्र सरकार बुधवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संवैधानिक संशोधन विधेयक, 2025 पेश कर सकती है। विधेयक के जरिए केंद्र जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का रास्ता खोल सकती है। यह विकास उस समय हो रहा है जब 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया था। इसे केंद्रशासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया था।

बिल पर सबकी निगाहें

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सूत्रों के अनुसार, यह विधेयक 20 अगस्त को लोकसभा में लाया जाएगा। हालांकि विधेयक की वास्तविक मंशा और दायरा अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि इसका मकसद राज्य का दर्जा बहाल करना है। इस पर संसद और देशभर की निगाहें टिकी हैं।

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राज्य के भीतर बढ़ती मांग

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला लगातार राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठा रहे हैं। अक्टूबर 2024 में विधानसभा चुनावों के बाद से वे इस मुद्दे को लेकर मुखर हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्होंने राज्य का दर्जा वापस दिलाने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। इसी कड़ी में 17 अगस्त को जल शक्ति, वन, पर्यावरण एवं जनजातीय मामलों के मंत्री जावेद अहमद राणा ने पुंछ के मेंढर से हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की।

सुप्रीम कोर्ट की भी नजर

राज्य का दर्जा बहाल करने की बहस सिर्फ सियासी मंचों तक सीमित नहीं है। 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उन याचिकाओं पर जवाब मांगा था, जिनमें जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की गई है। कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की थी कि अप्रैल 22 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए थे) को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि राज्य का दर्जा चुनाव के बाद बहाल करने का आश्वासन दिया गया है। इस क्षेत्र की परिस्थितियां विशेष हैं और कई पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही फैसला लिया जाएगा। उन्होंने अदालत से आठ सप्ताह का समय मांगा था ताकि केंद्र की ओर से विस्तृत जवाब दायर किया जा सके।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर दिया गया था। केंद्र ने तब से लेकर अब तक कई बार भरोसा दिलाया है कि उपयुक्त समय आने पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।

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