रेलूराम पुनिया हत्याकांड बेटी और दामाद को मिली अंतरिम जमानत
हाईकोर्ट ने पलटा लितानी नरसंहार में सरकारी आदेश
चंडीगढ़, 11 दिसंबर (ट्रिन्यू)
पूर्व विधायक रेलू राम पुनिया हत्याकांड में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने राज्य सरकार और उसकी स्टेट लेवल कमेटी द्वारा अगस्त, 2023 को दिए गए आदेश को रद्द कर दिया और सोनिया और उसके पति संजीव कुमार को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य समिति ने कानून की सीमाओं का उल्लंघन किया, पुराने जेल आचरण रिकॉर्ड का गलत इस्तेमाल किया और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की मनमानी व्याख्या की। अदालत ने सरकार को दो महीने में 2002 की रिमिशन नीति के अनुसार नया निर्णय लेने काे कहा है। जस्टिस सूर्य प्रताप सिंह ने अपने आदेश में कहा कि राज्य समिति ने यह टिप्पणी की कि संजीव की फांसी उम्रकैद में ‘मेरिट पर नहीं, केवल देरी के कारण’ बदली गई।
अदालत ने इसे पूरी तरह अवैध करार दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सजा की समीक्षा या सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मूल्यांकन केवल न्यायपालिका का अधिकार है, किसी प्रशासनिक निकाय का नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि समिति ने 13 साल पुराने रिकॉर्ड को आधार बनाकर रिहाई ठुकराई, जबकि नीति स्पष्ट रूप से कहती है कि आकलन केवल पिछले पांच वर्षों के आचरण के आधार पर होना चाहिए।
बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि दोनों की दोषसिद्धि मई 2004 में हुई थी। इसलिए, 12 अप्रैल, 2002 की समय से पहले रिहाई की नीति लागू होती है। बेंच को बताया गया कि ‘जघन्य अपराध के संबंध में, जिन दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था, वे 20 साल की असल सज़ा और छूट के साथ कुल 25 साल की सज़ा पूरी होने पर समय से पहले रिहाई के लिए विचार किए जाने के हकदार थे।’ यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा भुगती गई असल सजा की कुल अवधि 23 साल और 10 महीने से ज्यादा थी। छूट सहित कुल हिरासत की अवधि 28 साल और 10 महीने से ज्यादा थी।
बेंच ने कहा कि विवादित आदेश साफ तौर पर गलत, गैर-कानूनी और कानून की नजर में टिकने लायक नहीं है और उसे रद्द किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि याचिका मंज़ूर की जाती है और विवादित आदेश रद्द किया जाता है, साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ता की समय से पहले रिहाई के मामले पर 12 अप्रैल, 2002 की पॉलिसी और इस फैसले में की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, दो महीने के अंदर विचार करें।
भतीजे का राष्ट्रपति को पत्र, कहा-हमारी भी हत्या हो जाएगी
हिसार (हप्र) : रेलूराम पूनिया के भतीजे जितेंद्र पूनिया ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर सोनिया और संजीव कुमार को रिहा नहीं करने की मांग की है। उन्होंने लिखा, इन दोनों के जेल से बाहर आने से उनकी और उनके परिवार की जान को खतरा है। उन्होंने लिखा, सोनिया और संजीव के बाहर आने से मेरी और मेरे परिवार की भी हत्या हो सकती है।’
जब बेटी ने पति संग मिलकर मिटा िदया था मायके का नामो िनशां...
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 दिसंबर : हिसार के पास फैले लितानी गांव की रात अन्य दिनों जैसे ही शांत थी। खेतों के बीच एक भव्य दो-मंजिला फार्महाउस… और उसके भीतर सोया पूनिया परिवार। उसी रात, सोनिया का जन्मदिन मनाया गया था। केक, मिठाई, हंसी, पटाखों की आवाज़…लेकिन जैसे ही घड़ी ने 11 बजाये, जन्मदिन की पार्टी एक ‘खूनी रात’ में बदल गई। भोर होते ही नौकर 4 वर्षीय लोकेश को लेने आया, तो उसे लगा- घर में कुछ ‘बहुत गलत’ है। दरवाज़ा खुलते ही सामने जो दृश्य था, उसने हरियाणा को हिला दिया था। पुलिस जब घटना-स्थल पर पहुंची तो पूरा घर, कमरा दर कमरा कह रहा था कि यह कोई तात्कालिक हिंसा नहीं, बल्कि घंटों चलने वाला योजनाबद्ध हत्याकांड है। ड्राइंग रूम में पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया (50) का शव पड़ा था। साथ ही, उनकी पत्नी कृष्णा (41) के सिर पर गहरे वार साफ दिख रहे थे। ऊपर के कमरे में तीन माह की प्रीति मृत पड़ी थी। दूसरे कमरे में बेटा सुनील (23) खून में लथपथ था। बहन प्रियंका (16) के सिर पर छड़ी से वार करके हत्या की गई। बहू शकुंतला (20) के हाथ बंधे हुए, चेहरा खून से बिगड़ा हुआ था। बच्चे लोकेश (4) और शिवानी (2) को गला दबाकर मारा गया। 45 दिन की बच्ची की लाश भी खौफनाक मंजर की गवाही दे रही थी। फार्महाउस की दीवारों पर छड़ी के निशान, टूटी चीजें, फैली खीर… सब इशारा कर रहे थे कि यह नफ़रत नहीं, नफ़रत का ‘ऑपरेशन’ था।

