नयी दिल्ली, 19 जुलाई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने शर्मा को भविष्य में दर्ज हो सकने वाली प्राथमिकियों/शिकायतों में भी दंडात्मक कार्रवाई से राहत दे दी। पीठ ने कहा, ‘हम कभी नहीं चाहते थे कि आपको या आपके परिवार को किसी तरह के खतरे में डाला जाए।’ मामला 26 मई को एक टीवी डिबेट शो के दौरान पैगंबर पर कथित विवादित टिप्पणी से संबंधित है। पीठ ने अपने एक जुलाई के आदेश के बाद शर्मा को कथित तौर पर जान से मारने की धमकियां मिलने का भी संज्ञान लिया। इसने अपने एक जुलाई के आदेश में शर्मा के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज प्राथमिकियों को एकसाथ जोड़ने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत की इसी पीठ ने पैगंबर पर टिप्पणी को लेकर एक जुलाई को शर्मा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी ‘बेलगाम जुबान’ से ‘पूरे देश को आग में झोंक दिया है’ तथा देश में ‘जो हो रहा है उसके लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं।’
पीठ ने नूपुर की याचिका पर केंद्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों को नोटिस जारी किया तथा सुनवाई की अगली तारीख 10 अगस्त तक उनसे जवाब मांगा। शर्मा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह द्वारा दी गई दलीलों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि उसकी चिंता यह है कि इस बात को कैसे सुनिश्चित किया जाए कि याचिकाकर्ता अदालत द्वारा एक जुलाई को अनुमति वैकल्पिक उपाय का लाभ उठाए। पीठ ने याचिकाकर्ता को एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने की अनुमति दे दी, जिसमें आवेदन दाखिल करने के बाद उन्हें मिली धमकियों का विशिष्ट विवरण हो।
पुराने आदेश के बाद मिली धमकियां
वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत के एक जुलाई के आदेश के बाद से नूपुर को जान से मारने की धमकियां मिली हैं और यह रिकॉर्ड में आया है कि पाकिस्तान से एक व्यक्ति ने उन पर हमला करने के लिए भारत की यात्रा की है। पीठ ने सिंह से पूछा कि क्या ये घटनाएं जिनका वह जिक्र कर रहे हैं, एक जुलाई के आदेश के बाद हुई हैं? वरिष्ठ अधिवक्ता ने इसका जवाब ‘हां’ में दिया। पीठ ने कहा, ‘हमें तथ्यों को सही करना चाहिए। हम कभी नहीं चाहते थे कि आप राहत के लिए हर अदालत में जाएं।’