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Red Fort Blast : शव लेने के लिए अस्पताल के बाहर एकत्र परिवारों के नहीं थम रहे थे आंसू, कटे-फटे थे अंग

अस्पताल के मुर्दाघर के गेट पर कड़ी सुरक्षा थी और केवल अधिकृत कर्मियों को ही प्रवेश की थी अनुमति

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दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के बाहर आज अफरा-तफरी का माहौल था, जहां कई लोग गेट पर एकत्र थे। उनमें से कई लोग सोमवार शाम हुए विस्फोट में मारे गए परिजनों के शवों की पहचान करने के बाद दुखी थे या फिर अपने प्रियजनों के बारे में खबर मिलने की घबराहट के साथ प्रतीक्षा कर रहे थे। अस्पताल के मुर्दाघर के गेट पर कड़ी सुरक्षा थी और केवल अधिकृत कर्मियों को ही प्रवेश की अनुमति थी।

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कुछ लोग परिवार के लापता सदस्यों के बारे में जानकारी के लिए अस्पताल के कर्मचारियों से विनती करते देखे जा सकते थे, जबकि कई लोग एम्बुलेंस के आने-जाने के दौरान फूट-फूटकर रो पड़े। एलएनजेपी अस्पताल के मुर्दाघर में रात की शिफ्ट में काम करने वाले एक कर्मचारी ने दृश्य को ‘भयावह' बताया। उन्होंने कहा कि जो शव आए, उनकी पहचान करना मुश्किल था...कई के अंग कटे-फटे थे या गायब थे। ऐसा ही एक परिवार नोमान का था। सोमवार शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट में मारे गए लोगों में वह भी शामिल था।

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मंगलवार सुबह, शव की पहचान करने के बाद उसके परिवार के सदस्यों के दुख को समझा जा सकता था। परिवार के सदस्य एक-दूसरे को सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे। जब अधिकारी सफेद कपड़े में लिपटे उसके अवशेषों को ले जा रहे थे, तो शोकाकुल परिवार चुपचाप एम्बुलेंस के पीछे-पीछे चल रहा था। नोमान का दोस्त सोनू मुर्दाघर तक नहीं जा सका। दुखी सोनू ने कहा कि वह अपने दोस्त को ऐसी हालत में नहीं देख सकता। जिन शवों की पहचान कर ली गई है, उन्हें रिश्तेदारों को सौंप दिए गए हैं।

एक परिवार ई-रिक्शा में बैठकर रो रहा था और एक-दूसरे को सांत्वना दे रहा था। सोमवार शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास उच्च-तीव्रता वाले विस्फोट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। शवों को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी अस्पताल ले जाया गया, जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आपातकालीन वार्ड को पूरी तरह से सील कर दिया गया था और वहां प्रवेश वर्जित था।

मंगलवार सुबह, अस्पताल आने वाले मरीजों को दूसरे ब्लॉक में भेज दिया गया, जबकि गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने आपातकालीन वार्डों में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे लोगों को सख्ती से रोक दिया। अस्पताल के कई गेट भी बंद कर दिए गए थे और लोगों को वैकल्पिक प्रवेश द्वारों का उपयोग करने के लिए कहा गया था। गेट नंबर 4 के पास खड़े एक मरीज ने बताया कि उन्हें दूसरी तरफ से अस्पताल में प्रवेश करने के लिए लंबा चक्कर लगाने को कहा गया है। अनीता गुप्ता की मां का अस्पताल में इलाज चल रहा है।

उन्होंने स्थिति पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हम यहां पहुंचे तो गेट बंद थे। अब हमें दूसरे गेट से प्रवेश करने के लिए लंबा यू-टर्न लेना होगा। वार्डों के बाहर, सुरक्षाकर्मी सभी को बाहर जाने के लिए कह रहे हैं और मरीजों और उनके तीमारदारों को भी प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना भी मंगलवार सुबह स्थिति का जायजा लेने अस्पताल पहुंचे।

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