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Red Fort Blast : आरोपियों ने बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट कैसे किया हासिल, एजेंसियां इस पर केंद्रित कर रहीं ध्यान

वर्ष 2019 के लेथपुरा हमले में आरडीएक्स के साथ इस रसायन का भी किया गया था इस्तेमाल

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Red Fort Blast : सुरक्षा एजेंसियां ​​इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं कि कैसे एक "सफेदपोश" आतंकवादी नेटवर्क ने अमोनियम नाइट्रेट सहित भारी मात्रा में विस्फोटक हासिल करने और भंडारण करने में कामयाबी हासिल की। संदेह है कि इसी पदार्थ का इस्तेमाल सोमवार को लाल किला के पास हुए घातक विस्फोट में किया गया, जिसमें 12 लोग मारे गए।

इस हमले ने एक बार फिर इस बात को उजागर कर दिया है कि अमोनियम नाइट्रेट जैसे प्रतिबंधित रसायन को कितनी आसानी से हथियार बनाया जा सकता है। अधिकारी हाल में पकड़े गए अंतर-राज्यीय आतंकी सेल के रसद और खरीद नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। सोमवार शाम को लाल किले के पास हुए विस्फोट के कुछ ही घंटों बाद 3 चिकित्सकों सहित 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

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2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किया गया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद व अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े एक "सफेदपोश" आतंकी नेटवर्क का खुलासा हुआ, जो कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था। अमोनियम नाइट्रेट दोहरे इस्तेमाल वाला रसायन है, जिसे नाइट्रोजन उर्वरक के रूप में और पत्थर की खदानों में नियंत्रित विस्फोट के लिए निर्माण क्षेत्र में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। हालांकि, पोटाशियम क्लोरेट और सल्फर जैसे अन्य रसायनों के साथ मिश्रित होने पर इसकी अस्थिर प्रकृति के कारण, यह आतंकवादी समूहों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली परिष्कृत विस्फोटक सामग्री (आईईडी) का एक पसंदीदा घटक बन गया।

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इसे ईंधन तेल में भी मिलाया जाता है, जिससे अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल एक्सप्लोसिव (एएनएफओ) बनता है, जो तुरंत आग का कारण बनता है। वर्ष 2019 के लेथपुरा (पुलवामा) हमले में आरडीएक्स के साथ इस रसायन का भी इस्तेमाल किया गया था, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह कार बम हमला प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन द्वारा किया गया था। इससे पहले, इस रसायन का इस्तेमाल प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा 2000-2011 के दौरान मुंबई और राष्ट्रीय राजधानी में हुए विभिन्न हमलों में किया गया था।

आतंकवादी समूहों द्वारा बम बनाने में इसके लगातार इस्तेमाल से चिंतित सरकार ने 2011 में 45 प्रतिशत से अधिक अमोनियम नाइट्रेट वाले उर्वरकों को विस्फोटक पदार्थ घोषित कर दिया था। वर्ष 2015 में, सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए दुरुपयोग किए जाने वाले अमोनियम नाइट्रेट के आयात व परिवहन के मानदंडों को और कड़ा कर दिया। आदेश दिया कि इसकी ढुलाई को "केवल बैग में बंद रूप में" अनुमति दी जाएगी और देश के भीतर इसकी आवाजाही के लिए जीपीएस वाहनों के साथ सशस्त्र गार्डों की तैनाती अनिवार्य होगी।

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