गीतांजलि गायत्री/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 22 जुलाई
भले ही अरावली को गैर खनन क्षेत्र बनाया गया हो, लेकिन इसकी हकीकत का अंदाजा वहां चल रहे स्टोन क्रशर से लगाया जा सकता है। ये क्रशर जिले के दो क्षेत्रों में चल रहे हैं। यही नहीं, कुछ अन्य स्टोर क्रशर भी इलाके में सक्रिय हैं। रोचक है कि क्रशर का यह काम खनन एवं भूविज्ञान विभाग से बाकायदा अनुमति लेकर हो रहा है। हरियाणा-राजस्थान सीमा पर सटे जमालगढ़ के बीवन पहाड़ी क्षेत्र में 20 क्रशर हैं, जिनमें एक गौ सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष भानी राम मंगला का है।
हरियाणा के खनन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि 2010 में यह जोन बनाया गया था, मंगला के क्रशर को केवल 2013-14 में चलाने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने माना कि इस क्षेत्र के सभी क्रशर काम कर रहे हैं। हालांकि, मंगला से जब उनके क्रशर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह पिछले दो-तीन वर्षों से चालू नहीं था। सोहना के साथ लगते रेवासन जोन में 40 क्रशरों में से केवल 15 ही चालू हैं। तावड़ू में भी अनेक क्रशर चल रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर जब अरावली में खनन पर प्रतिबंध है तो इन क्रशरों को अनुमति कैसे दी गई। मंत्री ने कहा कि ये क्रशर पत्थरों और सामग्री की आपूर्ति के लिए राजस्थान पर निर्भर हैं। उल्लेखनीय है कि डंपर द्वारा एक डीएसपी को कुचले जाने के बाद अवैध खनन कुछ समय के लिए रुका हुआ है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि यह रोक कुछ समय की है, जल्दी ही क्रशरों को फिर शुरू कर दिया जाएगा।