मुंबई, 4 मई (एजेंसी)
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया। इससे कंपनियों और लोगों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। यानी अब होम, ऑटो एवं पर्सनल लोन महंगे होंगे। मुख्य रूप से बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बुधवार को बिना तय कार्यक्रम के बुलाई गई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत करने का भी निर्णय किया गया। इससे बैंकों के पास 87,000 करोड़ रुपये की नकदी घटेगी। सीआरआर से आशय बैंक की उस जमा से है, जिसे बैंकों को नकद रूप में रखने की जरूरत होती है। नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि 21 मई से प्रभाव में आएगी।
एमपीसी की बैठक में सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर बढ़ाने का निर्णय किया। दूसरी तरफ उदार रुख को भी कायम रखा गया है। दास ने कहा कि महंगाई दर लक्ष्य की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत थी। मौद्रिक नीति समिति की अगली द्विमासिक समीक्षा बैठक 6-8 जून को होनी है।
अगस्त 2018 के बाद पहली बढ़ोतरी : यह अगस्त, 2018 के बाद रेपो दर में पहली वृद्धि है। इसी तरह यह पहला उदाहरण है, जब एमपीसी ने बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के बैठक आयोजित कर ब्याज दरें बढ़ाई हैं। इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने बिना तय कार्यक्रम के 22 मई, 2020 को रेपो दर को घटाकर अबतक के सबसे निचले स्तर 4 प्रतिशत किया था। रेपो वह दर है जिस पर बैंक तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआई से कर्ज लेते हैं।