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Organ Donation: रवीश की कहानी... जब मौत ने दी नई जिंदगियों को जीवन की रोशनी

Organ Donation: एक बेटे का अंत, लेकिन छह जिंदगियों की नई शुरुआत
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू, चंडीगढ़, 10 दिसंबर

Organ Donation: नौ दिसंबर की सर्द सुबह, चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर के गलियारों में गहरा सन्नाटा पसरा था। एक तरफ रवीश कुंवर मलिक के परिवार का गम था, तो दूसरी ओर छह परिवारों में नई उम्मीदों का संचार हो रहा था। 36 वर्षीय वकील रवीश, जो एक सड़क हादसे में अपनी जान गंवा बैठे, अपनी मौत के बाद भी दूसरों की जिंदगी में रोशनी और सांसों की नई किरण लेकर आए।

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रवीश के दिल की धड़कन अब एक युवा महिला को जिंदगी दे रही है। उनके लिवर और किडनियों ने तीन और जिंदगियों को बचाया और उनकी आंखों ने दो लोगों की अंधेरी दुनिया को रोशन किया। रवीश भले ही शारीरिक रूप से दुनिया से चले गए हों, लेकिन उनकी विरासत उन छह लोगों के रूप में जीवित है, जिन्हें उन्होंने मृत्यु के बाद जीवनदान दिया।

'हमारा बेटा अब भी जिंदा है'

अपने बेटे को खोने का दर्द सहन करना किसी भी माता-पिता के लिए कठिन होता है। लेकिन इस गहरे दुख के बीच रवीश के परिवार ने ऐसा साहसिक फैसला लिया, जिसने उन्हें औरों के लिए मिसाल बना दिया। उनके पिता, एडवोकेट वी.एस.टी. मलिक ने भावुक होकर कहा, "रोनी हमेशा दूसरों की मदद करना चाहता था। हमें गर्व है कि वह अपनी आखिरी इच्छा में भी दूसरों के लिए जी गया।"

एक मौत, कई नई जिंदगियां

रवीश की सड़क दुर्घटना के बाद उन्हें पीजीआईएमईआर लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इस कठिन क्षण में उनके परिवार ने अपने दर्द को ताकत में बदलते हुए अंगदान का निर्णय लिया।

पीजीआईएमईआर के कुशल डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने उनके दिल, लिवर, किडनियों और आंखों को जरूरतमंद मरीजों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया। यह कदम न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय था, बल्कि मानवता का एक अद्वितीय उदाहरण भी बना।

अंगदान: जीवन का सबसे बड़ा उपहार

पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने इसे मानवता का अद्भुत उदाहरण बताते हुए कहा, "रवीश और उनके परिवार का यह कदम समाज के लिए प्रेरणा है। अंगदान न केवल जीवन बचाता है, बल्कि यह मृत्यु को भी अर्थपूर्ण बना देता है।"

आप भी बन सकते हैं नायक

रवीश की कहानी सिखाती है कि मृत्यु केवल अंत नहीं है, यह नई शुरुआत का माध्यम भी बन सकती है। आइए, हम भी अपने परिवार के साथ अंगदान पर चर्चा करें और इस महान कार्य का हिस्सा बनें।

अंगदान करें, जीवनदान करें। मौत के बाद भी जीवन की उम्मीद जगाएं।

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