नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण को भ्रामक विज्ञापन मामले में एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक माफी मांगने और पश्चाताप दिखाने की अनुमति दे दी। शीर्ष अदालत ने हालांकि, यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह अभी उन्हें इस चरण में राहत नहीं देने जा रही है। शीर्ष अदालत 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों के खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थे और दोनों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बिना शर्त माफ़ी मांगी और जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ से कहा कि वे ‘पछतावा दिखाने के लिए सार्वजनिक माफी मांगने’ को तैयार हैं। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, ‘आप एलोपैथी को नीचा नहीं दिखा सकते। आप अपना काम करिये। आप अच्छा काम कर रहे हैं।’ अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।
‘अदालत में इतनी मासूमियत काम नहीं आती’
पीठ ने कहा, ‘आप इतने मासूम नहीं थे कि आपको पता न चले कि अदालत में क्या हुआ है। इतनी मासूमियत अदालत में काम नहीं आती।’ पीठ ने तब नाराजगी जताई जब बालकृष्ण ने कहा कि रामदेव का कंपनी के रोजमर्रा के मामलों से कोई लेना-देना नहीं है।