Rain Havoc हिमाचल में बारिश का कहर, मंडी-कुल्लू में 2000 वाहन फंसे
Himachal rains हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंडी और कुल्लू जिलों में लगातार हो रहे भूस्खलनों ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। अब तक 257 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं, जबकि 2,000 से ज्यादा वाहन अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए हैं। सड़कें ध्वस्त होने से न केवल आवागमन ठप है, बल्कि बिजली-पानी जैसी बुनियादी सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
सबसे गंभीर स्थिति किरतपुर-मनाली फोरलेन पर है, जहां मंडी और बनाला के बीच कई स्थानों पर भारी भूस्खलन हुआ है। यह मार्ग लगातार दूसरे दिन भी बंद है, जिससे कुल्लू-मनाली, लाहौल-स्पीति और लेह-लद्दाख से संपर्क पूरी तरह कट गया है। कटौला मार्ग भी भूस्खलन से बंद हो चुका है, जिससे मंडी-कुल्लू के बीच फिलहाल कोई विकल्प नहीं बचा है।
इसका सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ा है। लाहौल-स्पीति के सब्जी उत्पादक अपनी फसल को बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। खेतों में ही सब्जियां सड़ने लगी हैं, जिससे किसानों की मौसमी आय पर संकट गहराने के साथ राज्य और देश के अन्य हिस्सों में आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है।
चट्टान गिरने से दो मकान हुए थे क्षतिग्रस्त
सोमवार शाम मंडी नगर निगम क्षेत्र के पड़डल गुरुद्वारा के पीछे चट्टान गिरने से दो मकान क्षतिग्रस्त हुए। गनीमत रही कि परिवार पहले ही सुरक्षित स्थान पर चले गए थे। नगर निगम आयुक्त रोहित राठौर ने बताया कि प्रभावित दो परिवारों को प्रशासन ने वैकल्पिक ठिकानों पर भेज दिया है और पूरे क्षेत्र को असुरक्षित घोषित कर खाली करा लिया गया है। आसपास के कई परिवार भी भय से रिश्तेदारों के घर चले गए।
मनाली (कुल्लू) में भी एक हादसे के बाद दो लोगों को प्रशासन ने सुरक्षित बचा लिया। हालांकि कई जगहों से भूस्खलनों की खबरें आई हैं, लेकिन अब तक किसी की मौत की सूचना नहीं है। प्रशासन ने राहत की टीमें चौकस रखी हैं और लोगों से संवेदनशील ढलानों से दूर रहने की अपील की है।
अभी और बारिश होगी
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश का अनुमान जताया है, जिससे खतरा और बढ़ सकता है। फिलहाल सड़कें खोलने, बिजली-पानी बहाल करने और फंसे लोगों की मदद के प्रयास जारी हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि मौसम सुधरने तक बहाली की गति धीमी रहेगी।
हर साल की तरह इस बार भी मानसून ने मंडी जैसे पहाड़ी शहरों की नाजुकता उजागर कर दी है। बार-बार होने वाले भूस्खलन और चट्टान गिरने की घटनाएं साफ कर रही हैं कि इन बस्तियों में आपदा प्रबंधन को और मज़बूत बनाने की जरूरत है।