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Rahul Gandhi : न्याय के इंतजार में राहुल गांधी, हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला टाला

राहुल गांधी की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रखा
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Rahul Gandhi : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अमेरिका में दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने से संबंधित मामले पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। दरअसल, एक विशेष अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत को गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के संबंध में दायर याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद गांधी ने हाई कोर्ट का रुख किया था।

न्यायमूर्ति समीर जैन ने गांधी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए विशेष अदालत के आदेश को स्थगित रखा। गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने दलील दी कि शिकायतकर्ता द्वारा दायर आवेदन में उस तारीख का उल्लेख नहीं है जिस दिन गांधी ने कथित बयान दिया था। उन्होंने दलील दी कि जब तक आवेदन में पूरे बयान का हवाला नहीं दिया जाता, तब तक यह साबित नहीं किया जा सकता कि गांधी ने किस संदर्भ में वे बातें कहीं।

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उन्होंने कहा कि दोनों अदालतों ने इस बात पर विचार नहीं किया कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं। हालांकि, अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि सवाल यह है कि क्या हाई कोर्ट या संबंधित मजिस्ट्रेट प्रथम दृष्टया मामले की जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि यह नेता प्रतिपक्ष द्वारा विदेशी धरती पर भारत के खिलाफ दिया गया बयान था और इस मामले की जांच की आवश्यकता है।

गोयल ने दावा किया कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने यह बयान देने की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा, "आज तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। मजिस्ट्रेट अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकते हैं।" वाराणसी के नागेश्वर मिश्रा ने मजिस्ट्रेट अदालत से अनुरोध किया था कि वह पुलिस को गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दें। उन्होंने कहा कि सितंबर 2024 में एक कार्यक्रम के दौरान गांधी ने कथित तौर पर कहा था कि भारत में सिखों के लिए माहौल अच्छा नहीं है।

मिश्रा ने आरोप लगाया कि उनका बयान भड़काऊ और विभाजनकारी था। हालांकि, मजिस्ट्रेट अदालत ने पिछले साल 28 नवंबर को याचिका खारिज कर दी और कहा कि भाषण अमेरिका में दिया गया था और इसलिए यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके बाद मिश्रा ने इस आदेश को एक पुनरीक्षण अदालत में चुनौती दी, जिसने 21 जुलाई को आवेदन स्वीकार कर लिया और मजिस्ट्रेट अदालत को मामले की नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया।

उन्होंने वाराणसी के सारनाथ थाने में गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। गांधी ने हाई कोर्ट का रुख किया और उनके वकील ने तर्क दिया कि वाराणसी की अदालत का आदेश गलत, अवैध और अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

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