IPS वाई पूरन कुमार की आत्महत्या पर उठे सवाल, IAS पत्नी अमनीत पी. कुमार ने CM को लिखा पत्र
IPS Suicide Case: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने पूरे राज्य के प्रशासनिक तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। अब इस मामले में उनकी पत्नी व आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को एक गंभीर पत्र लिखते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज करने, आरोपियों को निलंबित करने और मृत अधिकारी के परिवार को आजीवन सुरक्षा देने की मांग की है।
जापान से लौटने के बाद बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री अमनीत पी. कुमार से मिलने उनके घर पहुंचे और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी। इस दौरान कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार व कृष्ण बेदी के अलावा मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी व गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा भी उनके साथ मौजूद रहे। सेक्टर-24 स्थित सरकारी आवास पर अमनीत पी. कुमार से मिलने के बाद सीएम निकलने ही वाले थे लेकिन वे फिर से कोठी के अंदर गए और लगभग एक घंटा तक फिर से बातचीत हुई।
सूत्रों का कहना है कि इसी दौरान अमनीत पी. कुमार ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को दो पेज का पत्र सौंपा। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि हरियाणा पुलिस और प्रशासन के कुछ उच्च पदस्थ अधिकारी इस मामले में आरोपी हैं और वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जांच को प्रभावित कर रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि शक्तिशाली उच्च अधिकारी इस मामले में सीधे तौर पर संलिप्त हैं और वे एफआईआर दर्ज होने से रोक रहे हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए, ताकि सच सामने आ सके। यहां बता दें कि आईएएस अमनीत पी. कुमार ने बुधवार को ही चंडीगढ़ पुलिस में लिखित शिकायत देकर हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी। उन्होंने दोनों अधिकारियों को अपने पति की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
वाई पूरन कुमार - ईमानदारी और समर्पण का प्रतीक
पत्र में स्व. वाई. पूरन कुमार को देश और समाज के प्रति समर्पित, ईमानदार और साहसी अधिकारी बताया गया है। उन्हें उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पद से सम्मानित किया गया था। उनके बारे में लिखा गया है कि उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में ईमानदारी, अनुशासन और निडरता से सेवा दी और विशेषकर अनुसूचित जाति समुदाय के लिए प्रेरणा स्रोत बने। अमनीत कुमार ने कहा कि उनकी मृत्यु ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे अनुसूचित जाति समुदाय को गहरे सदमे और असुरक्षा की भावना में डाल दिया है।
आत्महत्या नोट में नाम दर्ज, फिर भी कार्रवाई नहीं
पत्र में यह गंभीर आरोप लगाया गया है कि मृतक अधिकारी द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट और औपचारिक शिकायत में उन व्यक्तियों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज हैं, जिन्होंने उन्हें मानसिक उत्पीड़न, अपमान और प्रताड़ना दी। इसके बावजूद, 48 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। पत्र में कहा गया है कि यह सुसाइड नोट एक स्पष्ट ‘डाइंग डिक्लेरेशन’ है, जिसे कानूनी सबूत के रूप में देखा जाना चाहिए और तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
एससी उत्पीड़न कानून के तहत बनती है कार्रवाई
आईएएस अधिकारी ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि मामला अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के दायरे में आता है, जिसके तहत पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। लेकिन, अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने यह भी लिखा है कि कानून स्पष्ट कहता है कि ऐसे मामलों में देरी अपराध मानी जाती है, लेकिन अब तक कोई पूछताछ नहीं हुई।
मुख्यमंत्री से की चार प्रमुख मांगें
अमनीत कुमार ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से चार प्रमुख मांगें रखी हैं। उन्होंने कहा कि आत्महत्या नोट और शिकायत में जिन व्यक्तियों के नाम हैं, उन पर तुरंत मामला दर्ज किया जाए। सभी आरोपियों को निलंबित करके गिरफ्तार किया जाए ताकि जांच पर उनका प्रभाव न पड़े। उन्होंने परिवार को स्थायी सुरक्षा देने की मांग की है। विशेष रूप से दिवंगत अधिकारी की दोनों बेटियों को मानसिक और शारीरिक सुरक्षा मिले। परिवार के सम्मान और अधिकारों की रक्षा हो, ताकि उन्हें आगे किसी तरह की प्रताड़ना का सामना न करना पड़े।
यह सिर्फ एक अधिकारी की मौत नहीं, न्याय की परीक्षा है
पत्र के अंत में अमनीत कुमार ने लिखा है कि यह मामला सिर्फ एक अधिकारी की मौत नहीं, बल्कि ‘न्याय, समानता और कानून के शासन की परीक्षा’ है। वाई पूरन कुमार न्याय और ईमानदारी के प्रतीक थे। उनकी मृत्यु ने उस व्यवस्था की सच्चाई उजागर कर दी है जो अब भी चुप है। उन्होंने आगे लिखा, ‘सरकार की त्वरित कार्रवाई न केवल परिवार को न्याय दिलाएगी, बल्कि समाज में यह संदेश देगी कि कानून सबके लिए समान है।’
चुप्पी से बढ़ेगा अविश्वास
पत्र में यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो इससे जनता में कानूनी व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र के प्रति अविश्वास बढ़ेगा। पत्र में कहा गया है कि सरकार की दृढ़ कार्रवाई ही जनता का विश्वास बहाल कर सकती है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र का समापन इन शब्दों के साथ किया गया है, ‘आपका त्वरित हस्तक्षेप और दृढ़ निर्णय ही यह सुनिश्चित करेगा कि न्याय में देरी न हो और न ही वह मरा हुआ दिखे। हम आपसे आग्रह करते हैं कि एफआईआर, गिरफ्तारी और परिवार की सुरक्षा की गारंटी तुरंत दी जाए।’
आईपीएस सुसाइड मामले की हो निष्पक्ष-उच्चस्तरीय जांच
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा की गई आत्महत्या की दुखद घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। यह न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। एक ईमानदार अधिकारी को यदि सिस्टम की विफलताओं के कारण ऐसा कठोर कदम उठाना पड़े, तो यह बेहद चिंता का विषय है। मैं दिवंगत अधिकारी के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती हूं और ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि उन्हें इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति दे। साथ ही, मैं इस घटना की निष्पक्ष, उच्च-स्तरीय जांच की मांग करती हूं ताकि सच्चाई सामने आ सके और भविष्य में किसी और अधिकारी को इस तरह के हालात का सामना न करना पड़े।