Punjab: जिला परिषद, पंचायत समिति चुनाव के लिए मतदान शुरू, 9,000 से अधिक उम्मीदवार मैदान में
Punjab Panchayat Poll: पंजाब में रविवार सुबह जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। इन चुनावों में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पूरी ताकत झोंकी है। निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 9,000 से अधिक प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।
पंजाब में रविवार को जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव में सुबह 10 बजे तक आठ प्रतिशत मतदान हुआ। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मतदान सुबह आठ बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हुआ और यह शाम चार बजे तक जारी रहेगा।
मतों की गिनती 17 दिसंबर को होगी। राज्य में 22 जिला परिषदों के 347 जोन और 153 पंचायत समितियों के 2,838 जोन के सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान जारी है। कुल 9,000 से अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। कुल 1.36 करोड़ मतदाता वोट डालने के पात्र हैं और मतदान शाम चार बजे तक जारी रहेगा।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर अपने पोस्ट में मतदाताओं से अपने घरों से निकलने और बड़ी संख्या में मतदान करने की अपील की है। राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस, कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुद्दियां, विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल, संदीप जाखड़ और पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखरा सहित कई नेताओं और मंत्रियों ने सुबह ही मतदान कर लिया। कई मतदाता, विशेषकर बुजुर्ग और महिलाएं अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए सुबह-सुबह विभिन्न मतदान केंद्रों पर पहुंचे।
अधिकारियों ने बताया कि 18,224 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए राजपत्रित स्तर के अधिकारियों की देखरेख में लगभग 44,000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव पर्यवेक्षकों और पुलिस पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है और इस बात पर जोर दिया है कि वह चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
सभी प्रमुख राजनीतिक दलों - आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार इन चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान सत्तारूढ़ ‘आप' ने भगवंत मान सरकार द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर वोट मांगे। चुनाव से पहले विपक्षी दलों ने मान सरकार को निशाना बनाते हुए आरोप लगाया कि वह सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर उनके उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोक रही है और उनके नामांकन पत्रों को खारिज करवा रही है।
ये चुनाव करीब चार साल से सत्ता में काबिज AAP के लिए एक बड़ी कसौटी माने जा रहे हैं। वहीं, परिणाम अकाली दल और भाजपा के राजनीतिक भविष्य को भी दिशा देंगे—दोनों दल आगे गठबंधन में जाएंगे या अलग-अलग, इसका संकेत भी इन्हीं नतीजों से मिलेगा। कांग्रेस के लिए भी ये चुनाव अहम हैं, क्योंकि हालिया विवादों और अंदरूनी खींचतान के बावजूद पार्टी को जमीनी स्तर पर अपनी स्थिति का अंदाजा मिलेगा।
विधानसभा चुनाव में सिर्फ 14 महीने का समय बचा है, ऐसे में यह चुनाव बेहद राजनीतिक रूप से गर्म माहौल में हो रहे हैं। सभी दल इसे अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी का आधार मान रहे हैं। शीर्ष नेताओं ने जोरदार प्रचार किया। AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर रणनीति बनाई। कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल के बड़े नेता भी अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहे। अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, उनकी सांसद पत्नी हरसिमरत कौर बादल और उनके बेटे ने भी ग्रामीण इलाकों में व्यापक प्रचार किया।
हालांकि प्रचार विधानसभा चुनाव जितना शोरगुल वाला नहीं रहा, लेकिन रणनीति और सियासी जोड़-तोड़ बेहद तीव्र रही। इस दौरान विपक्ष ने सत्तारूढ़ दल और राज्य चुनाव आयोग पर लोकतांत्रिक मानदंडों के उल्लंघन और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आरोप लगाए। नामांकन में बाधा डालने और एक कथित ऑडियो क्लिप के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को फटकार लगाई। बाद में आयोग ने निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए। गौरतलब है कि ये चुनाव पिछली बार 2018 में हुए थे, जिन्हें इस साल मई में होना था, लेकिन टाल दिए गए थे। (एजेंसी के इनपुट के साथ)
