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पंजाब विश्वविद्यालय आक्रोश दबाने को अधिसूचनाओं की व्यूह रचना

लटकी रहेगी पहले नोटिफिकेशन की तलवार !
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पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट और सिंडिकेट पर ‘कुठाराघात’ के लिए केंद्र सरकार द्वारा 28 अक्तूबर को जारी अधिसूचना के बाद मंगलवार पुन: एक के बाद एक दो संशोधित अधिसूचनाएं जारी करते हुए इस मुद्दे को लेकर लगभग भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। ऐसा समझा जाता है कि ऐसी स्थिति इसलिए बनायी गयी ताकि पहली अधिसूचना से उठे छात्र आक्रोश और सियासी बवाल को टाला जा सके।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने चार नवंबर देर रात दो नये आदेश जारी किए। पहले आदेश में 28 अक्तूबर को जारी अधिसूचना को वापस ले लिया गया और दूसरे आदेश में नया नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ‘पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947’ संशोधनों सहित प्रभावी रहेगा, लेकिन ये संशोधन केंद्र द्वारा तय की जाने वाली नयी तारीख से लागू होंगे। अर्थात सुधार मान्य हैं, पर उनकी अमल तारीख टाल दी गई।

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कुलपति प्रो. रेणु विग ने कहा कि 28 अक्तूबर का नोटिफिकेशन अब विदड्रा समझा जाये। नये नोटिफिकेशन का अध्ययन करने के लिये वकीलों को कहा गया है। इस बीच छात्र संगठन सीनेट बहाली की मांग को लेकर मोर्चे पर डटे हुए हैं।

नयी सीनेट को लेकर विपक्षी दलों, छात्रों और शिक्षकों के विरोध ने केंद्र को यह अस्थायी कदम उठाने पर मजबूर किया। पंजाब के लगभग सभी राजनीतिक दल जिसमें कांग्रेस, आप और शिरोमणि अकाली दल ही नहीं बल्कि ऐसे वे तमाम दल पीयू आने लगे, जिन्हें कट्टरपंथी कहा जाता है। सिमनरजीत सिंह मान, फरीदकोट के सांसद सरबजीत सिंह खालसा, वारिस पंजाब दे के नेता और किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल सहित स्वंय सेवी संगठनों के नाम पर एक्टिव कार्यकर्ता सक्रिय हो गये। भाजपा की पंजाब इकाई और पीयू के एबीवीपी नेता व कौंसिल अध्यक्ष गौरव वीर सोहल ने भी नेतृत्व को चेताया कि यह फैसला 11 नवंबर के तरनतारन उपचुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।

हाईकोर्ट का रुख करेगा पंजाब : भगवंत मान

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट को असंवैधानिक रूप से भंग करने की अधिसूचना जारी होने के खिलाफ पंजाब सरकार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया जाएगा।

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