चंडीगढ़, 25 जून (एजेंसी) पंजाब विधानसभा में शनिवार को पेश किए गए राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र में कहा गया है कि पंजाब आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंस गया है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज में राजकोषीय गड़बड़ी के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया गया है। सदन में राज्य का बजट पेश होने से दो दिन पहले प्रस्तुत दस्तावेज के मुताबिक, ‘आज पंजाब आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंसा है।’ दस्तावेज में कहा गया कि पिछली सरकारें, आवश्यक सुधारों को लागू करने के बजाय, राजकोषीय लापरवाही करती रही। अनुत्पादक राजस्व व्यय में अनियंत्रित वृद्धि, अनुपयोगी-सब्सिडी, संभावित कर, गैर कर राजस्वों में कमी से यह स्पष्ट है। यह श्वेत पत्र 73 पन्नों का है। दस्तावेज में कहा गया है, ‘राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र, वित्तीय क्षेत्र में पंजाब सरकार द्वारा सामना किए जा रहे जटिल मुद्दों को सरल बनाने का एक प्रयास है, जो अतीत की सरकारों की नासमझी के कारण समय के साथ गंभीर हो गया है।’ दस्तावेज में कहा गया है कि पंजाब का मौजूदा प्रभावी बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपये है, जो कि एसजीडीपी (राज्य का सकल घरेलू उत्पाद) का 45.88 फीसदी है। श्वेत पत्र में कहा गया है, ‘राज्य के मौजूदा कर्ज संकेतक शायद देश में सबसे खराब हैं, जो इसे कर्ज के जाल में और गहरा धकेल रहे हैं।’ दस्तावेज में कहा गया कि राज्य का बकाया कर्ज 1980-81 में 1,009 करोड़ रुपये था, जो 2011-12 में बढ़कर 83,099 करोड़ रुपये और 2021-22 में 2,63,265 करोड़ रुपये हो गया। पंजाब, जो लंबे समय तक पूरे देश में प्रति व्यक्ति आय में नंबर एक हुआ करता था, अब यह कई अन्य राज्यों से पीछे है और शीर्ष से 11वें स्थान पर आ गया है। श्वेत पत्र के अनुसार, छठा पंजाब वेतन आयोग, जो जनवरी 2016 से देय था, राज्य विधानसभा चुनाव से सिर्फ छह महीने पहले काफी देरी से और जल्दबाजी में जुलाई 2021 में लागू किया गया। दस्तावेज में कहा गया, ‘पिछली सरकार छठे पंजाब वेतन आयोग के लागू होने के मद्देनजर एक जनवरी 2016 से 30 जून 2021 तक संशोधित वेतन के बकाया का भुगतान नहीं कर सकी। अकेले इस मद में बकाया देनदारी लगभग 13,759 करोड़ रुपये होने की संभावना है।’
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।