Punjab Cabinet: संजीव अरोड़ा को उद्योग व NRI मामलों का मंत्री बनाया गया, कुलदीप धालीवाल बाहर
चंडीगढ़, 3 जुलाई (वेब डेस्क)
Punjab Cabinet Expansion: लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने वाले संजीव अरोड़ा ने आज पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। चंडीगढ़ में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान, उनकी पत्नी गुरप्रीत कौर मान सहित कई मंत्री और गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
संजय अरोड़ा को पंजाब सरकार में उद्योग विभाग और एनआरआई मामलों के विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अरोड़ा को एनआरआई मामलों का विभाग सौंपे जाने के साथ ही इस विभाग के पूर्व मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, इस्तीफे के पीछे के कारणों का आधिकारिक खुलासा अभी नहीं किया गया है। धालीवाल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
यह मान सरकार के तीन साल के कार्यकाल का सातवां कैबिनेट विस्तार है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा की थी कि अगर संजीव अरोड़ा विधायक बनते हैं, तो उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। केजरीवाल के इस वादे को पार्टी ने निभाया और अब अरोड़ा मंत्री बन गए हैं।
आम आदमी पार्टी की पहचान का रंग पीले रंग का कुर्ता-पायजामा हनकर संजीव अरोड़ा ने पंजाबी भाषा में शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह की संक्षिप्त अवधि महज छह मिनट की रही, जिसका संचालन मुख्य सचिव के. ए. पी. सिन्हा ने किया।
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— AAP Punjab (@AAPPunjab) July 3, 2025
शपथ लेने से पहले, 1 जुलाई को अरोड़ा ने अपनी राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। लुधियाना वेस्ट सीट पहले कांग्रेस विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी के पास थी, जिनकी जनवरी 2025 में गोली लगने से मौत हो गई थी। उनके निधन के बाद यह सीट रिक्त हुई और जून में उपचुनाव कराया गया।
आप ने अरोड़ा को अपना उम्मीदवार बनाया और जनता ने उन पर भरपूर विश्वास जताया। उन्होंने 10,637 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की और कांग्रेस उम्मीदवार भारत भूषण आशु को पीछे छोड़ दिया। अरोड़ा को आशु से 43.34% अधिक वोट प्राप्त हुए।
संजीव अरोड़ा की नियुक्ति से न केवल लुधियाना वेस्ट की जनता में उत्साह है, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। माना जा रहा है कि मंत्री पद पर उनकी नियुक्ति से पंजाब सरकार को कारोबारी अनुभव और बेहतर प्रशासनिक दृष्टिकोण का लाभ मिलेगा।