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Punjab Assembly Session : CM मान की सौगात, किसानों को खेतों से रेत निकालने के लिए 7200 रुपए प्रति एकड़ देने की घोषणा

बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए मुआवजा राशि में बड़ा इजाफा

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Punjab Assembly Session : पंजाब के बाढ़ प्रभावित लोगों को बड़ी राहत देते हुए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने जिलों में ‘जिसदा खेत, उसदी रेत’ योजना के तहत किसानों को अपने खेतों से रेत निकालने के लिए 7200 रुपए प्रति एकड़ देने की घोषणा की।

पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान चर्चा को समेटते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों से बाढ़ के कारण जमा हुई रेत, मिट्टी निकालने और यदि वे चाहें तो उसे बेचने की अनुमति दी गई है। बाढ़ के कारण डूबे गांवों के कई खेतों में रेत और मिट्टी जमा हो गई है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है। बाढ़ पीड़ितों को बड़ी राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने एसडीआरएफ नियमों के तहत फसल नुकसान के मुआवजे में बढ़ोतरी की है। 26 से 33 प्रतिशत फसल नुकसान के लिए मुआवजा 2000 रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 10,000 रुपए प्रति एकड़, 33 से 75 प्रतिशत फसल नुकसान के लिए 6800 रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 10,000 रुपए प्रति एकड़, और 75 से 100 प्रतिशत फसल नुकसान के लिए 6800 रुपए से बढ़ाकर 20,000 रुपए प्रति एकड़ किया गया है।

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20,000 रुपये प्रति एकड़ के मुआवजे में राज्य सरकार 14,900 रुपए का योगदान देगी, जो देश में सबसे अधिक है। वह कल (मंगलवार) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर राज्य के विभिन्न मुद्दों को उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी तरह से क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत के लिए 1.20 लाख रुपए और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए मुआवजा 6500 रुपए से बढ़ाकर 35,100 रुपए कर दिया गया है। बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी पहले से ही तय समय के भीतर चल रही है। राज्य सरकार उन किसानों को प्रति हेक्टेयर 47,500 रुपए (18,800 रुपए प्रति एकड़) देगी, जिनकी जमीन नदियों में बह गई है। पंजाब एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है।

उन्होंने कहा कि रचनात्मक आलोचना का हमेशा स्वागत है क्योंकि आलोचक ही सच्चे दोस्त होते हैं जो सरकार के कामकाज में कमियों को उजागर करते हैं। उन्होंने बाढ़ के दौरान निस्वार्थ सामाजिक सेवा करने वालों का विशेष रूप से धन्यवाद करते हुए कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने पुनर्वास के लिए शानदार काम किया है। राशन और अन्य बाढ़ राहत सामग्री अन्य राज्यों के वालंटियर्स द्वारा भी प्रदान की गई, जो वास्तव में प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुनर्वास के लिए गांवों को गोद लिया है। सेना और एनडीआरएफ ने राहत कार्यों के लिए अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए हैं।

अब पुनर्वास का समय है और राज्य सरकार इस संबंध में एक विधेयक पेश कर रही है। राज्य सरकार दीवाली के त्योहार से पहले 15 अक्टूबर से बाढ़ प्रभावित लोगों को मुआवजा वितरित करना शुरू कर देगी। पंजाब सरकार ने राज्य के सेम प्रभावित क्षेत्रों के लिए पहले ही 4.50 करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं। मौसम की भविष्यवाणी के लिए उन्नत तकनीक विकसित करने के लिए आईआईटी खड़गपुर और बेंगलुरु के साथ-साथ थापर यूनिवर्सिटी, पटियाला को भी शामिल किया गया है। थापर यूनिवर्सिटी ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को रोकने और कम करने के लिए मौसम संबंधी भविष्यवाणियों के लिए अपना सैटेलाइट लॉन्च करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने भारत सरकार से बाढ़ के मुआवजे को बढ़ाकर 50,000 रुपए प्रति एकड़ करने की मांग की है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि प्रधानमंत्री के पास महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्यपाल से मिलने का समय है, जबकि लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने राहत कार्यों के लिए प्रधानमंत्री से मुलाकात की मांग की, लेकिन प्रधानमंत्री के पास चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए समय नहीं है। इस गंभीर संकट की घड़ी में भी केंद्रीय मंत्री राज्य सरकार और लोगों की मदद करने के बजाय केवल बाढ़ पर्यटन के लिए तस्वीरें खिंचवाने के लिए राज्य में आए। प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1600 करोड़ रुपए भी राज्य के साथ एक क्रूर मजाक है।

उन्होंने कहा कि यह भी सुनने में आ रहा है कि राज्य को एसडीआरएफ से मिलने वाले 240 करोड़ रुपए भी इसमें शामिल कर दिए गए हैं। इसके विपरीत, प्रधानमंत्री चुनावी राज्यों जैसे बिहार में बड़े राहत पैकेज की घोषणा कर रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब सौतेली मां जैसा व्यवहार का कड़ा विरोध करता है और वह मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री के सामने ये मुद्दे उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ऐसी नीच चालों से लोगों के जनादेश को दरकिनार कर रही है, जो पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘अघोषित राष्ट्रपति शासन’ लागू किया हुआ है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

भगवंत सिंह मान ने कहा कि केंद्र सरकार संविधान के मूल संघीय ढांचे को नष्ट कर रही है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। विपक्षी नेता के विरोध पर कड़ा प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने पूछा कि राज्य सरकार द्वारा स्थापित रंगला पंजाब फंड का विरोध करने के पीछे उनका क्या तर्क है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने यह फंड सी.एस.आर. और अन्य सामाजिक संस्थाओं, जो बाढ़ पीड़ितों की मदद करना चाहती हैं, से योगदान प्राप्त करने के लिए स्थापित किया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि विपक्षी नेता उन कारणों से, जिनसे वे अच्छी तरह वाकिफ हैं, इस संबंध में आधारहीन बयान जारी कर रहे हैं।

एक किस्सा साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान देश के लोगों ने राष्ट्रीय रक्षा कोष में सोना दान किया था और पंजाबी लोगों ने उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अपील पर बड़ी मात्रा में सोना और करोड़ों रुपए का योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि जब भी देश पर कोई संकट आता है, लोग उसी मिशनरी उत्साह के साथ योगदान देते हैं, लेकिन अब जब पंजाब संकट का सामना कर रहा है, तब ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान जारी किए जा रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने दुख व्यक्त किया कि कांग्रेस नेता इस समय आधारहीन टिप्पणियां कर रहे हैं कि राज्य सरकार ने लोगों के लिए ‘कब्र खोद दी है’।

मुख्यमंत्री ने बीजेपी द्वारा आयोजित मॉक सत्र पर चुटकी लेते हुए कहा कि बीजेपी के चुने हुए सदस्य असली सत्र में मौजूद नहीं थे, जबकि नकली विधानसभा में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि मॉक सत्र आयोजित करने वाले सभी नेताओं को लोग आम चुनावों के बाद 2029 में नकली लोकसभा सत्र करने का खुला समय देंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हर चुनौती एक सबक देती है और अब हमने बाढ़ के इस संकट से बहुत कुछ सीखा है। राज्य के कई हिस्सों में वाटर रिचार्जिंग पॉइंट बनाए जाएंगे और पानी का स्तर बढ़ाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पूरे मिशनरी उत्साह के साथ काम कर रही है और गेहूं की फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए मिट्टी निकालने का काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को बड़ी राहत देने के लिए सदस्यों के सुझावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस संकट की घड़ी में सरकार के साथ एकजुट होकर चलना चाहिए। भगवंत सिंह मान ने विपक्ष से नीच स्तर की राजनीति से ऊपर उठकर बाढ़ प्रभावित लोगों की भलाई के लिए पूरे दिल से काम करने की अपील की।

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