Private School vs Government : 1680 स्कूलों पर जुर्माना, बकाया भुगतान का मुद्दा गरमाया; चिराग योजना और 134-ए की राशि रोकी
Private School vs Government : हरियाणा में शिक्षा विभाग और निजी स्कूल संचालकों के बीच टकराव गहराता जा रहा है। विभाग ने शुक्रवार को आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत नियमों का पालन न करने पर 1680 स्कूलों पर 30 हजार से 70 हजार रुपए तक का जुर्माना ठोंक दिया। इस कार्रवाई ने सियासी रंग ले लिया है। निजी स्कूल संचालकों ने सरकार पर सीधा हमला बोला है और सवाल उठाया है कि जब विभाग खुद योजनाओं का पैसा समय पर नहीं देता, तो उसकी ग़लतियों का जुर्माना कौन भरेगा।
शुक्रवार को शिक्षा निदेशालय की ओर से इस संदर्भ में निर्देश जारी हुए थे। शनिवार को प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि जिस दिन सरकार पूरे प्रदेश में शिक्षक सम्मान की बातें कर रही थी, उसी दिन 1680 स्कूलों पर भारी जुर्माना ठोकना तानाशाही रवैया है। उन्होंने कहा कि विभाग ने न तो मेल, न टेलीफोन और न ही लिखित सूचना देकर स्कूलों को चेताया, केवल अखबार में खबर छपवाकर पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा कि सरकार की गलती का खामियाजा स्कूल नहीं भुगतेंगे।
‘चिराग’ योजना पर गहराया विवाद
संघ ने ‘चिराग’ योजना में भुगतान को लेकर भी सरकार को घेरा। कुंडू ने बताया कि 2023-24 में विभाग ने बच्चों के कागजात वेरीफाई कर कुछ स्कूलों को पैसा दिया। लेकिन जैसे ही वही बच्चे अगली कक्षा में पहुंचे, 2024-25 की लिस्ट से उनके नाम ही गायब कर दिए गए। स्कूलों को एक पैसा नहीं मिला। अब इस लापरवाही का जुर्माना स्कूल नहीं भरेंगे।
134-ए की राशि का हिसाब मांगा
संघ ने नियम 134-ए का मुद्दा भी उठाया। संचालकों का कहना है कि नौवीं से बारहवीं तक पिछले 10 सालों का पैसा बकाया है, जबकि दूसरी से आठवीं तक की कक्षाओं का भी दो साल का भुगतान नहीं हुआ। सरकार ने 10 साल तक स्कूलों का पैसा दबाकर रखा, अब उसी पर जुर्माना ठोंक रही है। जनता समझ चुकी है कि सरकार केवल स्कूलों को बलि का बकरा बना रही है।
निजी स्कूलों की चेतावनी, संघर्ष होगा तेज
संघ ने साफ कहा कि अगर जुर्माना वापस नहीं लिया गया तो प्राइवेट स्कूल सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। कुंडू ने कहा कि सरकार का रवैया दोहरा है। अगर स्कूल से एक डॉक्यूमेंट में कमी रह जाए तो पोर्टल बंद कर दिया जाता है, लेकिन विभाग की गलती पर कोई जिम्मेदारी तय नहीं होती। अब समय आ गया है कि सरकार को आईना दिखाया जाए।