नयी दिल्ली, 25 जून (एजेंसी) पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लगभग एक महीने बाद उनका एक गीत ‘एसवाईएल’ यूट्यूब और संगीत की अन्य स्ट्रीमिंग मंचों पर जारी किया गया। मई में गोली मार कर उनकी हत्या किये जाने से पहले उन्होंने यह गीत लिखा और उसे कंपोज किया था । यह गाना संगीत निर्माता एमएक्सआरसीआई ने शुक्रवार को जारी किया। रिलीज़ के बाद से गीत को विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर 2.3 करोड़ से अधिक बार देखा गया है और इसे 31 लाख लोगों ने पंसद किया है। गीत का शीर्षक सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को संदर्भित करता है, जो कई दशकों से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय रहा है। उल्लेखनीय है कि पंजाब रावी-ब्यास नदी के पानी के अपने हिस्से के पुनर्मूल्यांकन की मांग कर रहा है, जबकि हरियाणा अपना हिस्सा पाने के लिए नहर को पूरा करने की मांग कर रहा है। मूसेवाला का वास्तविक नाम शुभदीप सिंह सिद्धू था, जिनकी पिछले महीने पंजाब के मानसा जिले में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मूसेवाला को भारत में उनके गीत ‘सो हाई’, ‘सेम बीफ’, ‘द लास्ट राइड’ और ‘जस्ट लिसन’ जैसे गीतों गानों के साथ बहुत पसंद किया जाता है। हाल ही में मूसेवाला के गीत ‘295’ ने वैश्विक बिलबोर्ड 200 की सूची में 154 वें स्थान पर अपनी जगह बनाई। इसके बाद से उनके इस गीत को यूट्यूब पर दो करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है। मूसेवाला की हत्या ने भारतीय फिल्म और संगीत समुदाय को झकझोर कर रख दिया था और कई कलाकारों ने सोशल मीडिया पर मूसेवाला को श्रद्धांजलि दी थी। वैश्विक संगीत समुदाय से कनाडाई रैपर ड्रेक ने मूसेवाला के निधन पर शोक व्यक्त किया था।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।