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पूर्वी उत्तर प्रदेश की सियासी पिच... ‘बाप रे बाप’

किसी ने पुत्र के लिए सजाया मैदान, कोई जुटा मात देने में
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कृष्ण प्रताप सिंह

गजब बेइज्जती है! एक चर्चित वेबसीरीज का यह लोकप्रिय डायलॉग पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों की धमाचौकड़ी में ‘गजब बाप है’ में बदल गया है। खासतौर से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्मभूमि इलाहाबाद और उनके प्रतिद्वंद्वी समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया की जन्मभूमि अम्बेडकरनगर में।

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इलाहाबाद में कई बार सांसद, विधायक व मंत्री रहे समाजवादी पार्टी के अस्सी पार के एक धुरंधर नेता हैं कुंवर रेवती रमण सिंह। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी को हराने का पराक्रम प्रदर्शित कर चुके हैं और इस बार भी चुनाव लड़ने का मंसूबा बनाये बैठे थे। लेकिन उनकी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन किया तो उनका विरोध दरकिनार कर उनकी इलाहाबाद सीट उसे दे दी। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इलाहाबाद आकर भी उन पर नहीं पसीजे। इसके बावजूद रेवती कुछ दिन इस जुगत में लगे रहे कि किसी तरह कांग्रेस ही उन्हें अपने टिकट पर चुनाव लड़ा दे।

फिर कहते हैं कि यह सोचकर पीछे हट गये कि ‘लोग कहेंगे, बुढ़ापे में भी इसका सांसदी का लोभ नहीं छूटा और उसके लिए दलबदल कर लिया।’

लेकिन उनके मंसूबों ने हार नहीं मानी तो सांप मरे न लाठी टूटे वाला एक उपाय ढूंढ़ निकाला। अपने विधायक बेटे कुंवर उज्ज्वल रमण सिंह को कांग्रेस की सदस्यता दिला दी और उसके लिए कांग्रेस के टिकट की पैरवी में लग गये।

इस पैरवी में अंततः वे सफल भी हो गये। अब उज्ज्वल रमण सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी हैं और कहते हैं कि सपा भी इससे खुश है। सपा और कांग्रेस का गठबंधन तो है ही, जिससे रेवती बिना हिचक व धर्मसंकट अपने नये-नये कांग्रेसी हुए बेटे का चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उनके क्षेत्र में अनेक लोग उनकी मिसाल देकर कह रहे हैं कि बाप हो तो ऐसा!

पिता-पुत्र की यह जोड़ी भी चर्चा में

डॉ. लोहिया की जन्मभूमि अम्बेडकरनगर की राजनीति में भी बाप बेटे की एक ऐसी ही अजब-गजब जोड़ी सक्रिय है। बाप हैं राकेश पाण्डेय और बेटा रितेश पांडेय। दोनों हवा का रुख देखकर कभी सपा तो कभी बसपा में जाकर सांसद व विधायक बनते रहते हैं। लेकिन पिछले चुनाव में बसपा से सांसद बना बेटा रितेश इस बार फिर सांसद बनने के लिए भाजपा से चुनाव मैदान में उतर गये हैं, जबकि बाप समाजवादी पार्टी के विधायक हैं और निहुरे निहुरे ऊंट चरा रहे हैं। न खुलकर भाजपाई बेटे का प्रचार कर रहे, न उनके प्रतिद्वंद्वी सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी लाल जी वर्मा का ही। लोग कहते हैं कि पितृ धर्म और पार्टी धर्म के बीच फंस गये हैं वह।

... और ये पिताजी भी छाये रहते हैं

एक और बहुचर्चित बाप हैं स्वामी प्रसाद मौर्य। बसपा से भाजपा और भाजपा से समाजवादी पार्टी तक की यात्रा कर चुके हैं और अब अपनी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बना डाली है। पिछले दिनों भाजपा ने उनकी सांसद बेटी संघमित्रा मौर्य का बदायूं लोकसभा सीट का टिकट काट दिया और इससे दुखी बेटी के रोने का वीडियो वायरल होने लगा तो स्वामी ने यह तक कह डाला कि उन्हें उसको बेटी कहते हुए शर्म आती है। क्योंकि विचारों की राजनीति में भावुकता के लिए कोई जगह नहीं होती और रोना-धोना बहुत ओछी व बचकानी बात है। उनके इस कथन के बाद कई लोग कहते दिखे कि एक यह भी बाप है।

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