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SCO summit: प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड त्यागने का आह्वान किया

SCO summit:  कहा- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई ‘‘मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है'

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में 25वें एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित किया। पीटीआई फोटो
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SCO summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में कहा कि पहलगाम में हुआ भयावह आतंकवादी हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर आघात है, बल्कि यह मानवता में विश्वास रखने वाले प्रत्येक राष्ट्र के लिए एक खुली चुनौती भी है।

उन्होंने आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड त्यागने की जोरदार वकालत की। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में मोदी ने वार्षिक शंघाई सहयोग संगठन को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई ‘‘मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है''। पाकिस्तान और इसका (आतंकवाद का) समर्थन करने वालों को स्पष्ट संदेश देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह पूछना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन हमें कभी स्वीकार्य हो सकता है?''

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उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट रूप से और एक स्वर में कहना होगा: आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं। हमें मिलकर, हर रूप और अभिव्यक्ति में आतंकवाद का विरोध करना चाहिए। यह मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।'' पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने छह और सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया गया था। इस हमले के बाद चार दिनों तक दोनों देशों के बीच भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत पिछले कई दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘कई माताओं ने अपनी संतानें खो दीं और कई बच्चे अनाथ हो गए। हाल में हमने पहलगाम में आतंकवाद का एक बेहद घृणित रूप देखा।''

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर एक आघात था, बल्कि यह हर उस देश, हर उस व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती था जो मानवता में विश्वास रखता है।'' मोदी ने पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ खड़े होने वाले मित्र देशों के प्रति भी आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने समूह के प्रति भारत के दृष्टिकोण और नीति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए शंघाई सहयोग संगठन के संक्षित नाम ‘SCO' का नया अर्थ प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया, ‘‘SCO के ‘एस' का अर्थ है ‘सिक्योरिटी' यानी सुरक्षा, ‘सी' का अर्थ है ‘कनेक्टिविटी' यानी संपर्क और ‘ओ' का अर्थ है ‘ऑपचुनिटी' यानी अवसर।''

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव हैं। हालांकि, आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद इस राह में बड़ी चुनौतियां बने हुए हैं।'' मोदी ने कहा कि आतंकवाद न केवल व्यक्तिगत राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी देश, कोई भी समाज, कोई भी नागरिक खुद को इससे पूरी तरह सुरक्षित नहीं मान सकता। इसीलिए भारत ने लगातार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकता के महत्व पर जोर दिया है।''

प्रधानमंत्री ने ‘कनेक्टिविटी' (संपर्क) के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि संपर्क के हर प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। यह SCO चार्टर के मूल सिद्धांतों में भी निहित है।''

उन्होंने कहा, ‘‘संप्रभुता को दरकिनार करने वाली ‘कनेक्टिविटी' विश्वास और अर्थ खो देती है।'' इन टिप्पणियों को चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरआई) के अप्रत्यक्ष संदर्भ में माना जा रहा है। भारत इसका विरोध करता रहा है क्योंकि इस परियोजना का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।

प्रधानमंत्री ने SCO के अंतर्गत एक सभ्यता संवाद मंच के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा मंच हमें अपनी प्राचीन सभ्यताओं, कला, साहित्य और परंपराओं की समृद्धि को वैश्विक मंच पर साझा करने का अवसर प्रदान करेगा।'' प्रधानमंत्री ने ‘ग्लोबल साउथ' के विकास को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ' की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में सीमित रखना भावी पीढ़ियों के साथ घोर अन्याय है।

‘ग्लोबल साउथ' से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं। भारत की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि देश ‘‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म'' (सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन) के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे कोविड-19 महामारी हो या वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है।

SCO शिखर सम्मेलन में पुतिन ने यूक्रेन संघर्ष के लिए पश्चिमी देशों को दोषी ठहराया

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल करने के पश्चिमी देशों के निरंतर प्रयास यूक्रेन के साथ संघर्ष के मुख्य कारणों में से एक हैं। रूसी समाचार एजेंसी ‘तास' की खबर के अनुसार, पुतिन ने दावा किया कि यह संकट मुख्यतः ‘‘2014 में यूक्रेन में हुए तख्तापलट के कारण उत्पन्न हुआ, जिसे पश्चिम के दशों ने उकसाया था''।

उन्होंने कहा, ‘‘संकट का दूसरा कारण यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के पश्चिमी देशों के निरंतर प्रयास हैं। जैसा कि हम बार-बार जोर देते रहे हैं कि यह रूस की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है।'' फरवरी 2014 में यूक्रेन की राजधानी कीव में प्रदर्शनकारियों और सरकारी बलों के बीच घातक झड़पों के परिणामस्वरूप तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटा दिया गया था। रूस के राष्ट्रपति के अनुसार, ‘‘2014 में हुए तख्तापलट के कारण देश के उस राजनीतिक नेतृत्व को हटा दिया गया जिसने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का समर्थन नहीं किया था।''

पुतिन रविवार को 10 सदस्यीय SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे। बाद में उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा आयोजित उद्घाटन भोज में भाग लिया। SCO शिखर सम्मेलन में उनकी उपस्थिति से रूस-यूक्रेन संघर्ष, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा युद्धविराम के असफल प्रयासों और रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर भारी शुल्क लगाने के दबाव जैसे विषयों पर ध्यान आकृष्ट हुआ। SCO की स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी। शुरुआत में इसमें छह देश शामिल थे: रूस, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसमें शामिल हुए। इसके बाद 2023 में ईरान और 2024 में बेलारूस इसमें शामिल हुए।

SCO ने पहलगाम हमले की निंदा की; आतंकवाद से लड़ने में दोहरे मापदंडों को अस्वीकार्य कहा

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए भारत के इस रुख से सोमवार को सहमति जताई कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ‘‘दोहरे मानदंड'' अस्वीकार्य हैं। इस प्रभावशाली समूह ने चीनी बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित अपने दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन के अंत में जारी एक घोषणापत्र में आतंकवाद से लड़ने के अपने दृढ़ संकल्प को सूचीबद्ध किया। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विश्व के कई अन्य नेताओं ने भाग लिया।

SCO सदस्य देशों ने गाजा में इजराइल द्वारा किए गए सैन्य हमलों में बड़ी संख्या में आम लोगों के हताहत होने और गाजा पट्टी में भयावह मानवीय स्थिति पैदा होने के कारण इन हमलों की निंदा की। घोषणापत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने के उपायों का उल्लेख किया गया और आतंकवाद से निपटने को एक बड़ी चुनौती बताया गया। इसमें कहा गया, ‘‘सदस्य देश 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं।''

SCO के सदस्य देशों ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में खुजदार और जाफर एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमलों की भी निंदा की। घोषणापत्र के अनुसार, ‘‘उन्होंने (सदस्य देशों ने) हताहतों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति एवं संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों के दोषियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।''

इसमें कहा गया है कि SCO आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, ‘‘स्वार्थसिद्धि के उद्देश्य' के लिए आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी समूहों का इस्तेमाल करने के प्रयासों की अस्वीकार्यता पर जोर देता है।

SCO ने कहा कि वह आतंकवादी और चरमपंथी खतरों का मुकाबला करने में संप्रभु देशों और उनके सक्षम प्राधिकारियों की अग्रणी भूमिका को मान्यता देता है। इसमें कहा गया है, ‘‘सदस्य देश आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा करते हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंड अस्वीकार्य हैं और वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों सहित आतंकवाद का मुकाबला करने का आह्वान करते हैं।''

SCO ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की इस संबंध में केंद्रीय भूमिका है कि वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति को पूरी तरह से लागू करे ताकि सभी आतंकवादी समूहों का संयुक्त रूप से मुकाबला किया जा सके।

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