गिरफ्तारी या 30 दिन हिरासत पर जाएगी PM-CM की कुर्सी, अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया बिल
Amendment Bill: लोकसभा में सरकार ने दूरगामी परिणामों वाले एक संविधान संशोधन को पेश करने का प्रस्ताव रखा जिसमें प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को गंभीर अपराध के आरोपों में पद से हटाने का प्रावधान है किंतु इस पर विपक्ष के विरोध और भारी हंगामे के कारण सदन की बैठक करीब 45 मिनट के लिए अपराह्न तीन बजे तक स्थगित कर दी गई। इसके बार कार्यवाही 3 बजे शुरू हुई, लेकिन हंगामा जारी रहा। इस कारण कार्यवाही एक बार फिर 5 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दो बजे शुरू हुई तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025', ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025' और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025' पेश किए जाने का प्रस्ताव रखा।
विपक्ष की ओर से एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध किया।
उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार सात दिन पहले विधेयक पेश करने का नोटिस सदस्यों को नहीं दिया गया और इसकी प्रतियां भी समय पर नहीं वितरित की गईं। जब प्रेमचंद्रन ने कहा कि तीनों विधेयकों को सदन में पेश करने की सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों है? इस पर गृह मंत्री शाह ने कहा कि प्रेमचंद्रन जल्दबाजी की बात कर रहे हैं, लेकिन ‘‘इसका सवाल इसलिए नहीं उठता क्योंकि मैं इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति को सौंपने का अनुरोध करने वाला हूं। संयुक्त समिति जो लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों, पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की बनेगी और इस पर विचार करके विधेयक को आपके सामने लाएगी।''
इसके बाद कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल ने आसन की अनुमति से बोलते हुए कहा कि भाजपा के लोग कह रहे हैं कि यह विधेयक राजनीति में शुचिता लाने के लिए लाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या मैं गृह मंत्री से पूछ सकता हूं कि जब वह गुजरात के गृह मंत्री थे, उन्हें गिरफ्तार किया गया था तब क्या उन्होंने नैतिकता का ध्यान रखा था?''
गृह मंत्री ने वेणुगोपाल के बयान पर जवाब देते हुए कहा, ‘‘मैं रिकॉर्ड स्पष्ट करना चाहता हूं। मैंने गिरफ्तार होने से पहले नैतिकता के मूल्यों का हवाला देकर इस्तीफा भी दिया और जब तक अदालत से निर्दोष (साबित) नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया।''
शाह ने कहा, ‘‘ये हमें क्या नैतिकता सिखाएंगे। मैं तो इस्तीफा देकर गया था। मैं तो चाहता हूं कि नैतिकता के मूल्य बढ़ें। हम ऐसे निर्लज्ज नहीं हो सकते कि हम पर आरोप लगें और हम संवैधानिक पद पर बने रहें। गिरफ्तारी से पहले मैंने इस्तीफा दिया था।''
इसके बाद शाह ने प्रस्ताव रखा कि ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025', ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025' और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025' को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को विचार के लिए भेजा जाए। इस दौरान विपक्ष का हंगामा बढ़ गया और कुछ सदस्यों को गृह मंत्री के सामने कागज फाड़कर फेंकते हुए देखा गया।
ममता बनर्जी बोलीं- विधेयक ‘सुपर-इमरजेंसी' से भी आगे का कदम
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ने कहा कि 130वां संविधान संशोधन विधेयक ‘सुपर-इमरजेंसी' से भी आगे का कदम है, जो भारत में लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा। 130वें संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को समाप्त करना है। यह विधेयक ‘एक व्यक्ति-एक पार्टी-एक सरकार' प्रणाली को मजबूत करने का प्रयास है।
यह अलोकतांत्रिकः प्रियंका
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी नए विधेयकों की आलोचना करते हुए उन्हें ‘‘दमनकारी'' और ‘‘अलोकतांत्रिक'' बताया। इन विधेयकों में गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है। प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे विधेयक लाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह पूरी तरह से दमनकारी कदम है। यह हर चीज के खिलाफ है और इसे भ्रष्टाचार विरोधी कदम के रूप में पेश करना लोगों की आंखों में धूल झोंकने जैसा है। चूंकि यह मूल रूप से सरकार को ऐसा करने की अनुमति देता है - तो आपको दोषी ठहराए जाने की भी जरूरत नहीं है।''
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘कल आप किसी मुख्यमंत्री पर कोई भी मामला दर्ज करा सकते हैं और उसे बिना दोषी ठहराए 30 दिनों के लिए गिरफ्तार कर सकते हैं और फिर वह मुख्यमंत्री नहीं रह जाएगा।'' प्रियंका गांधी ने कहा कि यह हर किसी के सामने है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह बिल्कुल गलत है, यह लोकतंत्र विरोधी है और संविधान के खिलाफ है, यह अलोकतांत्रिक है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।'' सरकार बुधवार को संसद में तीन विधेयक पेश करने की योजना बना रही है, जिसके तहत गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाया जा सकेगा।
कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि भाजपा नीत केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार के मुख्यमंत्रियों को ‘‘पक्षपाती'' केंद्रीय एजेंसियों द्वारा ‘‘मनमाने ढंग'' से गिरफ्तार कराने के बाद उन्हें तुरंत पद से हटाकर विपक्ष को अस्थिर करने के लिए कानून लाने की मंशा रखती है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हरा पाने में विफल रहने के बाद उन्हें हटाने के लिए ऐसा कानून लाना चाहती है।