नयी दिल्ली, 22 मई (एजेंसी) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थॉमस कप बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय टीम के खिलाड़ियों से मुलाकात की और कहा कि यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने बैंकॉक में प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में ऐतिहासिक जीत के बाद खिलाड़ियों को टेलीफोन पर बधाई देने के कुछ दिन बैडमिंटन टीम के सदस्यों से निजी तौर पर मुलाकात करके उनके साथ बातचीत की। इस दल में महिला उबेर कप टीम की खिलाड़ी भी शामिल थीं। मोदी ने कहा, ‘मैं देश की तरफ से पूरी टीम को बधाई देता हूं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। आपने कर दिखाया। एक दौर था जब हम इन टूर्नामेंटों में इतने पीछे थे कि यहां किसी को पता ही नहीं चलता था।’ प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वालों में हरियाणा की रहने वाली महिला शटलर उन्नति हुड्डा भी शामिल थी। प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि हरियाणा की धरती में ऐसा क्या है कि वहां से एक के बाद एक दिग्गज खिलाड़ी निकलते हैं? उन्नति ने कहा, ‘सर, जो बात मुझे प्रेरित करती है, वह यह है कि आप पदक विजेताओं और पदक नहीं जीत पाने वालों में भेदभाव नहीं करते हैं।’ युगल विशेषज्ञ सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी ने कहा कि खिलाड़ी पिछले सप्ताह खिताब जीतने के बाद अपने पदकों के साथ सोये थे। प्रधानमंत्री ने चैंपियन शटलर (बैडमिंटन खिलाड़ी) से मुलाकात के दौरान थॉमस कप की यादों को भी ताजा किया जहां भारत ने खिताब के दावेदार इंडोनेशिया को हराकर स्वर्ण पदक जीता। मोदी ने कहा कि भारत दशकों बाद प्रतियोगिता में अपना ध्वज फहराने में सफल रहा और यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। उन्होंने टीम को उसके प्रयासों के लिये बधाई दी और कहा कि लोगों ने पहले कभी इन टूर्नामेंटों पर ध्यान नहीं दिया लेकिन थॉमस कप जीत के बाद देशवासियों ने टीम और बैडमिंटन के खेल पर गौर किया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हां, हम यह कर सकते हैं’ का रवैया आज देश में नयी ताकत बन गया है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सरकार खिलाड़ियों को हर संभव मदद प्रदान करेगी।’ सीनियर खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ने जिस तरह से भारतीय चुनौती की अगुवाई की उसके लिये प्रधानमंत्री ने इस 29 वर्षीय खिलाड़ी की सराहना की। श्रीकांत ने कहा, ‘सर मैं बहुत गर्व के साथ कह सकता हूं कि दुनिया का कोई भी खिलाड़ी इसको लेकर शेखी नहीं बघार सकता। केवल हमें जीत के तुरंत बाद आपसे बात करने का सौभाग्य मिला। इसके लिये बहुत बहुत आभार सर।’ उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों को यह कहते हुए गर्व होगा कि हमें अपने प्रधानमंत्री का समर्थन हासिल है।’ मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा, ‘प्रधानमंत्री खिलाड़ियों और खेल का अनुसरण करते हैं और खिलाड़ियों से जुड़ते हैं।’ जहां तक डेनमार्क के रहने वाले युगल कोच माथियास बो की बात है तो उन्होंने कहा, ‘मैं एक खिलाड़ी रहा हूं और मैंने पदक भी जीते हैं, लेकिन मेरे प्रधानमंत्री ने मुझे कभी मुलाकात के लिये नहीं बुलाया।’ स्टार शटलर लक्ष्य सेन ने प्रधानमंत्री को अल्मोड़ा की प्रसिद्ध ‘बाल मिठाई’ उपहार में दी। सेन ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने अल्मोड़ा की बाल मिठाई के बारे में कहा था और मैं उसे लेकर गया। यह दिल छू लेने वाली बात है कि उन्हें खिलाड़ियों के बारे में छोटी-छोटी बातें याद रहती हैं।’ सेन ने प्रधानमंत्री से कहा, ‘‘जब भी आप हमसे मिलते हैं, हमसे बातचीत करते हैं तो हमें बहुत प्रेरणा मिलती है। मुझे उम्मीद है कि मैं भारत के लिये आगे भी पदक जीतता रहूंगा, आपसे मिलता रहूंगा और आपके लिये बाल मिठाई लाता रहूंगा।’ भारत ने थॉमस कप फाइनल में 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर खिताब जीता था।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।