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सर्वे के खिलाफ संभल की जामा मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज

प्रयागराज/संभल, 19 मई (एजेंसी)इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर से जुड़े विवाद में सर्वेक्षण कराने संबंधी संभल की एक अदालत के आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि...
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प्रयागराज/संभल, 19 मई (एजेंसी)इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर से जुड़े विवाद में सर्वेक्षण कराने संबंधी संभल की एक अदालत के आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता आयोग की नियुक्ति और वाद दोनों ही विचारणीय हैं। यह निर्णय जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनाया, जिन्होंने मस्जिद कमेटी के वकीलों, मंदिर पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वकील की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मस्जिद कमेटी ने संभल की एक अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। संभल की अदालत ने अधिवक्ता आयुक्त के जरिये मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में कहा कि मुस्लिम पक्ष के वकील नकवी की यह दलील कि मस्जिद से जुड़ा विवाद 1877 में निपटा लिया गया, इस चरण में स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि 1877 का निर्णय एक पुराने भवन की बात करता है, जबकि 1920 में जुमा मस्जिद को 1904 के अधिनियम के तहत एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि मालिकाना हक के वाद का 1877 में पुनरीक्षण याचिका दायर करने वाले के पक्ष में निर्णय हो गया था तब यह प्रश्न उठता है कि इन्होंने विवादित ढांचे को लेकर 1927 में 1904 के अधिनियम के तहत समझौता क्यों किया था। कथित समझौता याचिकाकर्ता के स्वामित्व का खुलासा नहीं करता और स्पष्ट रूप से कहता है कि इस ढांचे का पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षण किये जाने की जरूरत है। एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने स्वयं 1904 के अधिनियम के मुताबिक कथित समझौते का क्रियान्वयन स्वीकारा है, इसलिए वह इस चरण में यह नहीं कह सकता कि यह वाद 1991 के अधिनियम के प्रावधानों से बाधित है।

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