नयी दिल्ली, 23 नवंबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने उस भूखंड के ‘भूमि उपयोग में बदलाव’ (सीएलयू) को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी, जहां लुटियंस दिल्ली में महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना के हिस्से के रूप में उपराष्ट्रपति का नया आधिकारिक आवास बनेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि हर बात की आलोचना हो सकती है, लेकिन यह ‘रचनात्मक आलोचना’ होनी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और संबंधित अधिकारियों द्वारा पर्याप्त स्पष्टीकरण दिये गये हैं, जो सीएलयू को सही ठहराते हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि यह सीएलयू जनहित में नहीं है और वह केवल हरित एवं खुले क्षेत्र को संरक्षित करना चाहते हैं। इस पर पीठ ने पूछा, ‘क्या आम नागरिकों से सिफारिश ली जाएगी कि उपराष्ट्रपति का निवास स्थान कहां होना चाहिए?’