नयी दिल्ली, 13 जून (एजेंसी)
दिल्ली हाईकोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के संबंध में कथित घृणा भाषण के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा के सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता वृंदा करात और केएम तिवारी ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी। जस्टिस चंद्रधारी सिंह की कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि कानून के तहत, वर्तमान तथ्यों के हिसाब से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता है। न्यायाधीश ने कहा कि निचली अदालत ने सही फैसला किया और कानून के तहत वैकल्पिक उपाय की मौजूदगी को देखते हुए हाईकोर्ट के रिट अधिकार क्षेत्र के प्रयोग का मामला नहीं बनता है।
निचली अदालत ने 26 अगस्त, 2021 को प्राथमिकी दर्ज करने की याचिका को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ताओं ने निचली अदालत के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया था कि ठाकुर और वर्मा ने लोगों को भड़काने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुईं। उन्होंने उल्लेख किया था कि यहां रिठाला की रैली में ठाकुर ने 27 जनवरी, 2020 को भीड़ को उकसाने के लिए भड़काऊ नारा लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि वर्मा ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी की थी।