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सत्ता में रहे लोगों को अपनी ही संस्कृति पर आती थी शर्म

पुरानी सरकारों पर पीएम मोदी का तंज
गुवाहाटी में समर्थकों का अभिवादन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। - रॉ
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गुवाहाटी, 4 फरवरी (एजेंसी)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि आजादी के बाद सत्ता में रहे लोग पूजा स्थलों के महत्व को नहीं समझ सके और उनकी उपेक्षा करते हुए उन्होंने राजनीतिक वजहों से अपनी ही संस्कृति व इतिहास पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति स्थापित की। गुवाहाटी में 11,600 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कोई भी देश अपना इतिहास मिटाकर प्रगति नहीं कर सकता।

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केंद्र सरकार द्वारा 498 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे कामाख्या मंदिर गलियारा परियोजना पर उन्होंने कहा कि इसके तैयार हो जाने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस शक्ति पीठ में आएंगे और पूरे पूर्वोत्तर के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि ‘कामाख्या दिव्यलोक परियोजना’ इस शक्ति पीठ की तीर्थयात्रा के अनुभव को बिल्कुल पलट देगी।

मोदी ने कहा कि भाजपा नीत ‘डबल-इंजन’ सरकार की नीति विरासत स्थलों के विकास और संरक्षण की है। उन्होंने असम को एक उदाहरण बताया और कहा कि यह ऐसा स्थान है, जहां धर्म, अाध्यात्मिकता और इतिहास आधुनिकता के साथ जुड़े हैं। मोदी ने कहा कि जिन परियोजनाओं की उन्होंने शुरुआत की, उससे न केवल पूर्वोत्तर, बल्कि बाकी के दक्षिण एशिया में संपर्क सुविधा मजबूत होगी।

उन्होंने कहा, ‘आज, युवा चाहते हैं कि असम और पूर्वोत्तर का दक्षिण एशिया की तरह विकास किया जाए। आपका सपना मोदी का संकल्प है। मोदी आपके सपने को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। यह मोदी की गारंटी है।’

शांति लौटी, विकास पर चार गुना खर्च

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले 10 साल में असम में शांति लौटी है और 7,000 से अधिक लोगों ने हथियार छोड़े हैं। मोदी ने कहा, ‘10 से अधिक प्रमुख शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। एक वक्त मैंने असम में पार्टी के लिए काम किया था। मैंने अपनी आंखों से गुवाहाटी में सड़कें अवरुद्ध होने और बम विस्फोट की घटनाएं देखी हैं। यह अब बीते वक्त की बात है।’ प्रधानमंत्री ने दावा किया कि पिछले 10 साल में क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों के लिए खर्च चार गुना बढ़ाया गया है। असम से राज्यसभा सदस्य रहे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, ‘ऐसा पहले तब भी नहीं किया गया था, जब प्रधानमंत्री असम से चुने गए थे।’

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