बिहार में मतदाता सूची से बाहर हुए लोगों को दावे दर्ज कराने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के एसआईआर के दौरान बाहर हुए लोगों को ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीकों से अपने दावे दर्ज कराने की अनुमति देने का निर्देश दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आधार कार्ड और एसआईआर में स्वीकार्य 11 दस्तावेजों में से किसी एक के साथ दावा प्रपत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी।
शीर्ष अदालत ने 65 लाख लोगों के मतदाता सूची से बाहर होने के मामले में आपत्तियां दर्ज कराने के लिए राजनीतिक दलों के आगे नहीं आने पर आश्चर्य जताया। अदालत ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि वह अदालती कार्यवाही में राजनीतिक दलों को भी पक्षकार बनाएं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ सितंबर तय की। उसने कहा कि सभी राजनीतिक दल अगली सुनवाई तक उस दावा प्रपत्र के बारे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे, जिसे दाखिल करने में उन्होंने मतदाता सूची से बाहर हुए लोगों की मदद की थी। पीठ ने चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मतदाता सूची से बाहर हुए लोगों के दावा प्रपत्र भौतिक रूप से जमा कराने वाले राजनीतिक दलों के बूथ स्तर के एजेंटों को पावती रसीद उपलब्ध कराएं। चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने न्यायालय से आग्रह किया कि वह चुनाव आयोग को यह दिखाने के लिए 15 दिन का समय दे कि कोई भी नाम सूची से बाहर नहीं किया गया है। द्विवेदी ने कहा कि राजनीतिक दल शोर मचा रहे हैं। हालात खराब नहीं हैं। हम पर विश्वास रखें और हमें कुछ और समय दें। हम आपको दिखा देंगे कि कोई भी छूटा नहीं है।
लोकतंत्र निर्वाचन आयोग के ‘क्रूर हमले’ से बच गया : कांग्रेस
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हुए कांग्रेस ने कहा कि लोकतंत्र निर्वाचन आयोग के ‘क्रूर हमले’ से बच गया है। पार्टी ने दावा किया कि आयोग पूरी तरह से बेनकाब और बदनाम हो गया है। विपक्षी दल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को शामिल करके संशोधन को और अधिक समावेशी बनाने के लिए सुरक्षा उपाय किए हैं।