पेगासस मामला : सुप्रीम कोर्ट का रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इनकार
कहा- आतंकियों के खिलाफ स्पाइवेयर के इस्तेमाल में गलत क्या है
नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी कोई भी रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इनकार करते हुए मंगलवार को कहा कि अगर देश आतंकवादियों के खिलाफ स्पाइवेयर (जासूसी सॉफ्टवेयर) का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें गलत क्या है? इस्राइली स्पाइवेयर पेगासस से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही अदालत ने संकेत दिया कि वह निजता के उल्लंघन की व्यक्तिगत आशंकाओं पर गौर कर सकती है, लेकिन तकनीकी समिति की रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, ‘देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी किसी भी रिपोर्ट को नहीं छुआ जाएगा, लेकिन जो व्यक्ति यह जानना चाहते हैं कि वे इसमें शामिल हैं या नहीं, उन्हें सूचित किया जा सकता है। व्यक्तिगत आशंकाओं से निपटा जाना चाहिए, लेकिन रिपोर्ट को सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज नहीं बनाया जा सकता।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे इस बात की भी समीक्षा करनी होगी कि तकनीकी पैनल की रिपोर्ट को व्यक्तियों के साथ किस हद तक साझा किया जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘स्पाइवेयर का होना गलत नहीं है, सवाल यह है कि आप इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ कर रहे हैं। आप देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं कर सकते। निजी नागरिक, जिसके पास निजता का अधिकार है, उसे संविधान के तहत संरक्षण दिया जाएगा।’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई ऐसी जांच नहीं की जानी चाहिए जो किसी विशिष्ट आरोप या साक्ष्य के आधार पर नहीं, बल्कि केवल जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से की जाए। मेहता ने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ स्पाइवेयर का इस्तेमाल करने में कुछ भी गलत नहीं है और उन्हें निजता का अधिकार नहीं मिल सकता।
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट बिना किसी संशोधन के सार्वजनिक की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की।
ये है मामला
शीर्ष अदालत ने 2021 में नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की लक्षित निगरानी के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा इस्राइली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों की जांच का आदेश दिया था और तकनीकी एवं पर्यवेक्षी समितियों की नियुक्ति की थी। तकनीकी पैनल को 29 में से पांच सेल फोन में कुछ मैलवेयर मिले थे, लेकिन यह पता नहीं लगाया जा सका था कि पेगासस का इस्तेमाल किया गया था या नहीं।