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Pauranik Kathayen : किन्नर एक रात के लिए ही क्यों करते हैं शादी? श्रीकृष्ण से गहरा संबंध

Pauranik Kathayen : किन्नर एक रात के लिए ही क्यों करते हैं शादी? श्रीकृष्ण से गहरा संबंध
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चंडीगढ़, 17 फरवरी (ट्रिन्यू)

शादी का मौका हो या किसी का जन्मदिन.. .किन्नर समाज खुशी के घर में बधाई देने पहुंच जाता है। ऐसा माना जाता है कि कभी किसी किन्नर की बदुआ नहीं लेनी चाहिए। वहीं, उनका आशीर्वाद लेना बहुत शुभ माना जाता है।

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हालांकि हर किसी को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देने वाले किन्नर समाज का जीवन बहुत से रहस्यों से भरा हुआ है। उन्हीं में से एक है उनका एक रात के लिए विवाह करना।

एक रात के लिए ही शादी करते हैं किन्नत

जी हां, किन्नर जिंदगी में केवल एक रात के लिए ही विवाह करते हैं और अगले ही दिन इन्हें विधवाओं की तरह विलाप करना पड़ता है। दरअसल, किसी इंसान नहीं बल्कि इरावन देवता से विवाह रचाते हैं। इसका राज महाभारत में श्रीकृष्ण की एक कहानी से जुड़ा है।

धनुषधारी अर्जुन के पुत्र इरावत से शुरु हुई थी कहानी

पैराणिक कथाओं के अनुसार, इरावन देवता अर्जुन और उनकी नागकन्या पत्नी उलूपी के पुत्र थे। ऐसा कहा जाता है कि वह बहुत ही वीर योद्धा थे, लेकिन जन्म से किन्नर थे। महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने मां काली की पूजा करवाई थी। उसके लिए एक राजकुमार की बलि जरूरी थी, जिसके लिए कोई आगे नहीं आया। मगर, इरावन बलि देने के लिए तैयार हो गए।

जब श्रीकृष्ण ने इरावत से किया मोहिनी बनकर विवाह

उन्होंने इससे पहले विवाह की शर्त रख दी। कोई भी राजकुमार से शादी करने के लिए तैयार नहीं था क्योंकि किसी भी औरत को एक रात के लिए विधवा नहीं बनना था। तब भगवान कृष्ण ने मोहिनी रूप धारण करके ना सिर्फ इरावन से विवाह किया बल्कि बलि के बाद उनके लिए विधवाओं की तरह विलाप भी किया।

किन्नर समाज के देवता है इरावन

हालांकि मां काली ने इरावन के बलिदान से खुश होकर उन्हें पुर्णजीवन दिया, जिसके बाद उन्होंने महाभारत युद्ध में अहम भूमिका निभाई। इरावन ने ही कौरवों की तरफ से लड़ रहे राक्षस अलंबुष से युद्ध कर उन्हें मृत्यु दी थी। किन्नर समाज इरावन को अपना देवता मानते हैं और उनकी मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करते हैं।

विधवाओं की तरह विलाप भी करते हैं किन्नर

इरावन देवता के लिए एक खास तरह का उत्सव आयोजित किया जाता है, जोकि 18 दिन चलता है। इस उत्सव के आखिरी दिन हजारों किन्नर इरावन देवता को अपना पति मानकर विवाह करते हैं। फिर अगले दिन वह अपना मंगलसूत्र और चूड़ियां तोड़कर विधवा रूप में मूर्ति तोड़कर विलाप करते हैं।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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