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Pauranik Kathayen : जब भक्त के लिए श्री हरि को जाना पड़ा पाताल, मां लक्ष्मी ने यूं दिलाई थी मुक्ति

Pauranik Kathayen : जब भक्त के लिए श्री हरि को जाना पड़ा पाताल, मां लक्ष्मी ने यूं दिलाई थी मुक्ति
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चंडीगढ़, 6 जनवरी (ट्रिन्यू)

भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार है और वह सदेव अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से भगवान विष्णु का ध्यान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। हालांकि एक बार भक्त की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान को पाताल लोक जाना पड़ गया।

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जब भगवान विष्णु ने लिया वामन अवतार

पौराणिक कथा के अनुसार, जब राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया था तो सभी देव भगवान विष्णु से मदद लेने पहुंचे। तब श्रीहरि वामन अवतार लेकर राजा बलि से दान मांगने गए। उन्होंने राजा से दान में तीन पग भूमि मांगी। राजा बलि भगवान को तीन पग भूमि देने के लिए तैयार हो गए। भगवान विष्णु ने विशालकाय रूप धारण करके एक पग में धरती और दूसरे में आसमान को नाप लिया। जब भगवान विष्णु ने राजा बलि से पूछा कि तीसरा पग कहां रखोगे तो वह झुकते हुए बोले, मेरे सिर पर रख दीजिए।

भक्त के लिए श्री हरि को जाना पड़ा पाताल

इस तरह भगवान विष्णु ने तीनों लोकों को राजा बलि से मुक्त कराया। वहीं, भगवान विष्णु ने राजा बलि की दानशीलता व भक्ति भाव से प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपने साथ पाताल चलकर हमेशा के लिए वहीं रहने की बात कही। भक्त की इच्छापूर्ति के लिए श्रीहरि राजा बलि के साथ पाताल चले गए और वहां वास करने लगे।

मां लक्ष्मी ने दिलाई पाताल से मुक्ति

भगवान विष्णु जी के पाताल जाने से माता लक्ष्मी और सभी देवी-देवता चिंतित हो गए। उन्हें मुक्त करवाने के लिए माता लक्ष्मी को एक युक्ती सूझी। उन्होंने एक गरीब स्त्री का रूप धारण किया और राजा बलि के पास गई। उन्होंने राजा बलि से एक भाई के रूप में राखी बंधवाने के लिए कहा और वह तैयार हो गए। जब मां लक्ष्मी ने राजा बलि के राखी बांधी तो उन्होंने उनसे उपहार मांगा।

इस तरह भगवान विष्णु लौट आए वैकुंठ

राजा बलि उन्हें उपहार देने के लिए तैयार हो गए। माता लक्ष्मी ने राजा बालि से उपहार स्वरूप भगवान विष्णु को छुड़वाने का वचन मांगा। राजा बलि को विवश होकर श्रीहरि विष्णु को वचन मुक्त करना पड़ा। इस तरह भगवान विष्णु वैकुंठ लौट आए।

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