Pauranik Kahaniyan : जब हनुमान जी ने शनिदेव को दिया दर्द से आराम, ऐसे शुरु हो गई तेल चढ़ाने की परंपरा
Pauranik Kahaniyan : जब हनुमान जी ने शनिदेव को दिया दर्द से आराम, ऐसे शुरु हो गई तेल चढ़ाने की परंपरा
चंडीगढ़, 15 मार्च (ट्रिन्यू)
Pauranik Kahaniyan : शनिदेव को तेल चढ़ाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक परंपरा है। यह शांति, संतुलन और न्याय की प्रक्रिया का प्रतीक है, जो व्यक्ति के जीवन को सही दिशा में मार्गदर्शन करता है। तेल चढ़ाने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और उनके न्यायप्रिय दृष्टिकोण से जीवन के कठिनाइयों में कमी आ सकती है। यह न केवल धार्मिक क्रिया है, बल्कि एक मानसिक और आत्मिक शुद्धि का भी माध्यम है। हालांकि क्या आप जानते हैं कि शनिदेव पर तेल चढ़ाने की प्रक्रिया कैसे और क्यों शुरु हुई...
जब रावण ने शनिदेव को लटका दिया था उल्टा
शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा हनुमान जी द्वारा उनकी पीड़ा दूर करने के लिए शुरू हुई। शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त श्रद्धा से उन्हें तेल चढ़ाएगा, उसकी सभी समस्याएं दूर होंगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने सभी नवग्रहों को अपने दरबार में बंदी बना लिया और शनि देव को उल्टा लटका दिया।
आग के कारण होने लगी पीड़ा
तब हनुमान जी माता सीता को ढूंढते हुए लंका आए और उन्हें पकड़कर रावण के सामने पेश किया गया। जब रावण ने हनुमान जी की पूंछ पर आग लगा दी तो वह इधर-उधर भागने लगे और पूरी लंका जला दी। तब सभी नवग्रह तो छूटकर भाग गए, लेकिन उल्टे लटके शनिदेव नहीं भाग पाए। तब उन्हें आग के कारण पीड़ा होने लगी।
शनिदेव की पीड़ा को देख हनुमान जी ने किया ये काम
हनुमान जी ने शनिदेव की पीड़ा को दूर करने के लिए उनके शरीर पर तेल लगाया, जिससे उन्हें आराम मिला। इसके बाद शनिदेव ने कहा कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से उन्हें तेल चढ़ाएगा, उसकी सभी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
शनिदेव को कैसे करें प्रसन्न?
कुछ लोग मानते हैं कि शनिदेव को तेल चढ़ाने से साढ़ेसाती और ढैय्या के बुरे प्रभाव कम होते है। वहीं, शनिदेव को सरसों या तिल का तेल चढ़ाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाना और काले तिल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
डिस्केलमनर : यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

