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Panjab University ने विकसित किया एआई मॉडल , अब एक क्लिक में होगा झूठ और सच का फैसला

जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 4 दिसंबर Panjab University News झूठ और सच का फैसला अब क्लिक पर हो जाएगा। पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के नृविज्ञान (ऐन्थ्रोपोलॉजी) और फोरेंसिक विभाग ने एक उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल विकसित किया है, जो दस्तावेज़ों, वसीयत,...
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एआई मॉडल विकसित करने वाली टीम। -ट्रिन्यू
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जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 4 दिसंबर

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Panjab University News झूठ और सच का फैसला अब क्लिक पर हो जाएगा। पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के नृविज्ञान (ऐन्थ्रोपोलॉजी) और फोरेंसिक विभाग ने एक उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल विकसित किया है, जो दस्तावेज़ों, वसीयत, बैंकिंग और अन्य क्षेत्रों में हेरफेर या जालसाजी की पहचान में क्रांतिकारी साबित हो सकता है। इस मॉडल को भारत सरकार से कॉपीराइट पंजीकरण मिल चुका है और इसे जल्द ही ईडी, सीबीआई, क्राइम ब्रांच और फॉरेंसिक लैब्स में शामिल किया जाएगा। यह मॉडल न केवल जांच एजेंसियों को तेजी और सटीकता से काम करने में मदद करेगा, बल्कि यह फर्जीवाड़े की घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत हथियार भी होगा।

पीयू की कुलपति प्रो. रेनू विग ने इस बड़ी सफलता के लिए टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह मॉडल केवल जांच एजेंसियों के लिए नहीं, बल्कि समाज में सत्य और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होगा।

90% सटीकता वाला मॉडल

इस एआई मॉडल में सपोर्ट वेक्टर मशीन (एसवीएम) तकनीक का उपयोग किया गया है। इसे 1,400 हस्तलिखित सिग्नेचरों (700 असली और 700 नकली) पर प्रशिक्षित किया गया, जिससे 90% सटीकता प्राप्त हुई। यह तकनीक दस्तावेज़ों की जांच में लगने वाले समय को कम करने के साथ-साथ जालसाजी की घटनाओं को रोकने में भी मददगार होगी। इसका उपयोग बैंकिंग, संपत्ति पंजीकरण, चेक और अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर की वैधता जांचने में किया जा सकता है।

जांच एजेंसियों के लिए वरदान

प्रो. केवल कृष्ण ने कहा कि यह मॉडल जांच एजेंसियों के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा। यह किसी भी दस्तावेज़ पर असली और जाली हस्ताक्षर की तुरंत पहचान कर सकता है। टीम अब एक मोबाइल ऐप पर भी काम कर रही है, जो इस तकनीक को और अधिक

सुलभ बनाएगा।

टीम में आठ शोधकर्ता शामिल

इस प्रोजेक्ट को फोरेंसिक विभाग के प्रो. केवल कृष्ण, प्रो. विशाल और ऐन्थ्रोपोलॉजी विभाग के डॉ. अभिक घोष ने आठ शोधकर्ताओं के साथ मिलकर तैयार किया। टीम के प्रमुख सदस्यों में राकेश मीणा, दामिनी सिवान, पीहुल कृष्ण, अंकिता गुलेरिया, नंदिनी चितारा, रितिका वर्मा, आकांक्षा राणा और आयुषी श्रीवास्तव शामिल हैं।

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