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वायु सेना अड्डों पर हमले से पस्त हुआ पाक, बदले सुर

अजय बनर्जी/ ट्रिन्यू नयी दिल्ली, 11 मई दस मई को दोपहर करीब एक बजे, सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई नयी दिल्ली में एक बैठक में थे, जब एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि उनके पाकिस्तानी समकक्ष मेजर...
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अजय बनर्जी/ ट्रिन्यू

नयी दिल्ली, 11 मई

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दस मई को दोपहर करीब एक बजे, सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई नयी दिल्ली में एक बैठक में थे, जब एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि उनके पाकिस्तानी समकक्ष मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला उनसे हॉटलाइन पर बात करना चाहते हैं। इससे ठीक तीन दिन पहले, 6 मई को रात करीब 1.30 बजे, लेफ्टिनेंट जनरल घई ने मेजर जनरल अब्दुल्ला से संपर्क किया था और उन्हें बताया था कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया है। लेफ्टिनेंट जनरल घई ने पूछा था कि क्या वह इस बारे में और बात करना चाहते हैं? लेफ्टिनेंट जनरल घई ने रविवार को एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, ‘उन्होंने जवाब में कहा था कि हमारी सैन्य प्रतिक्रिया का इंतजार करें।’

दोनों डीजीएमओ ने आखिरकार दस मई को दोपहर 3.30 बजे बात की, जिसमें मेजर जनरल अब्दुल्ला ने ‘शत्रुता समाप्त करने’ की मांग की। भारत द्वारा 1999 के कारगिल संघर्ष के बाद पाकिस्तान को सबसे बड़ा सैन्य झटका दिये जाने के बाद पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी के लहजे में बदलाव आया।

नौ मई को पाकिस्तान ने कई भारतीय शहरों को निशाना बनाते हुए लगभग 400 ड्रोन का उपयोग करके हमले की कोशिश की थी। दस मई की सुबह, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान पर एक भीषण हमला किया, जिसे सूत्रों ने ‘नरक की आग’ की तरह बरसने वाला बताया। भारतीय वायुसेना ने स्कर्दू, सरगोधा, जैकबाबाद, भोलारी, रफीकी, मुरीद, नूर खान, रहीम यार खान, सक्कर और चुनियां जैसे पाकिस्तानी एयरबेस को नुकसान पहुंचाया। पसरूर और सियालकोट हवाई अड्डे के रडार स्थलों को भी निशाना बनाया गया। सूत्रों ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों की तकनीकी और सैन्य श्रेष्ठता, साथ ही ऑपरेशन को अंजाम देने में सटीकता ने तराजू को निर्णायक रूप से झुका दिया। सूत्रों ने कहा, ‘पाकिस्तानियों को अहसास हो गया कि उनकी वायु रक्षा प्रणाली इन हमलों को रोकने में सक्षम नहीं है।’

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का कारण संभवतः भारत द्वारा चकलाला एयरबेस पर किया गया हमला था, जो पाकिस्तान की सेना के लिए केंद्रीय परिवहन केंद्र के रूप में काम करने वाला एक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान है। यह एयरबेस पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार की देखरेख और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सामरिक योजना प्रभाग के मुख्यालय के बहुत करीब स्थित है।

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने एक अनाम अधिकारी के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा, ‘पाकिस्तान का सबसे बड़ा डर उसके परमाणु कमान प्राधिकरण पर हमले का था। नूर खान (चकलाला) पर मिसाइल हमले को एक चेतावनी के रूप में समझा जा सकता है कि भारत ऐसा कर सकता है।’

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