Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Organ Donation: अमनिंदर का अमर उपहार, अंगदान से पांच जिंदगियों में नई रोशनी

ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उनके परिवार ने अंगदान का साहसिक फैसला लिया
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

चंडीगढ़, 24 नवंबर (ट्रिन्यू)

Organ Donation: दुख और पीड़ा में भी आशा का दीप जलाने वाले अमनिंदर सिंह (21) की कहानी हर किसी को प्रेरित करने वाली है। रोपड़, पंजाब के खिजराबाद निवासी अमनिंदर का नाम अब उन वीरों में शामिल हो गया है। उन्होंने मरने के बाद दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए अपना योगदान दिया। पीजीआईएमईआर में ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उनके परिवार ने अंगदान का साहसिक फैसला लिया। इसके परिणामस्वरूप, उनके अंगों ने तीन लोगों को नया जीवन और दो लोगों को दृष्टि प्रदान की।

Advertisement

10 नवंबर, 2024 को हुए सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल अमनिंदर को पहले रोपड़ के सिविल अस्पताल और फिर उन्नत उपचार के लिए पीजीआई चंडीगढ़ लाया गया। डॉक्टरों की अथक कोशिशों के बावजूद उनकी स्थिति बिगड़ती गई, और 20 नवंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

परिवार का साहसिक निर्णय

गहरे दुख के बीच, अमनिंदर के परिवार ने एक साहसिक निर्णय लेते हुए उनके अंगों और ऊतकों को दान करने की सहमति दी। इस निर्णय में पीजीआईएमईआर के ट्रांसप्लांट समन्वयकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्होंने परिवार को भावनात्मक सहारा और मार्गदर्शन दिया। पिता सुखजिंदर सिंह ने कहा, "अमनिंदर हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था। उसे बचा नहीं सके, लेकिन उसके अंगों ने दूसरों को जिंदगी दी। इससे हमें यह अहसास होता है कि वह अब भी जीवित है।"

अंगदान का योगदान

अमनिंदर का जिगर दिल्ली स्थित एएचआरआर अस्पताल में एक मरीज को दिया गया। इसके लिए पीजीआईएमईआर से दिल्ली तक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। उनके गुर्दे, अग्न्याशय और कॉर्निया पीजीआईएमईआर में मरीजों को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किए गए।

कौन सा अंग कहां किया दान

जिगर: एएचआरआर, दिल्ली में एक मरीज को।

गुर्दे और अग्न्याशय: पीजीआईएमईआर में दो गंभीर मरीजों को।

कॉर्निया: दो दृष्टिहीन मरीजों को नई रोशनी मिली।

पीजीआई निदेशक ने परिवार को सराहा

पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा, "अमनिंदर के परिवार ने अपने गहरे दुख को दूसरों के लिए उम्मीद की किरण में बदल दिया। यह एक प्रेरणा है कि कठिनाई के क्षणों में भी हम दूसरों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।"

पीजीआई के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और नोडल ऑफिसर, रोट्टो (उत्तर) प्रो. विपिन कौशल ने कहा, "यह मामला दिखाता है कि किस तरह परिवार, संस्थाएं और समर्पित टीमें मिलकर जीवन बचाने में योगदान देती हैं। अमनिंदर की विरासत हमें इस नेक काम के लिए और प्रेरित करती रहेगी।"

Advertisement
×