विधेयकों को मंजूरी संबंधी आदेश... राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे 14 सवाल
नयी दिल्ली, 15 मई (एजेंसी)
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्य विधानसभाओं से पारित विधेयकों पर फैसला लेने के संबंध में राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित करने से संबंधित आठ अप्रैल के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने अनुच्छेद 143(1) के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की राय लेने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति को जब यह लगता है कि कोई सवाल सार्वजनिक महत्व से जुड़ा है तो वह प्रश्न को विचारार्थ सुप्रीम कोर्ट को भेज सकता है और न्यायालय सुनवाई के पश्चात अपनी राय राष्ट्रपति को सूचित कर सकता है। गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट के आठ अप्रैल के फैसले में विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर फैसला करने को लेकर सभी राज्यपालों के लिए समयसीमा निर्धारित की गई है और कहा गया कि मंत्रिपरिषद की सलाह का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। कोर्ट ने कहा था कि यदि राज्यपाल द्वारा विचार के लिए भेजे गए विधेयक पर राष्ट्रपति मंजूरी नहीं देता है तो राज्य सरकारें सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती हैं।
n प्रस्तुत विधेयक मामले में राज्यपाल के संवैधानिक विकल्प क्या हैं?
n क्या राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह को लेकर बाध्य हैं? राज्यपाल द्वारा संवैधानिक विवेक का उपयोग न्यायोचित है?
n क्या राज्यपाल के कार्यों के संबंध में न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण पाबंदी है?
n राज्यपाल के लिए समयसीमा निर्धारित की जा सकती है ?
n क्या राष्ट्रपति द्वारा संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है?
n क्या राष्ट्रपति के लिए समय-सीमा निर्धारित की जा सकती है।
n क्या राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेने की आवश्यकता है?
n क्या फैसले कानून बनने से पहले के चरण में न्यायोचित हैं?
n विधेयक के कानून बनने से पहले क्या न्यायिक निर्णय लिए जा सकते हैं?
n क्या आदेशों को प्रतिस्थापित किया जा सकता है?
n क्या राज्य विधानमंडल द्वारा तैयार कानून राज्यपाल की स्वीकृति के बिना लागू हो सकते हैं?
n क्या संविधान की व्याख्या के लिए न्यूनतम पांच न्यायाधीशों की पीठ नहीं होनी चाहिए
n क्या सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां निर्देश जारी करने तक विस्तारित है?
n क्या सुप्रीम कोर्ट किसी अन्य क्षेत्राधिकार पर रोक लगा सकता है?