मतदाता सूची मुद्दे पर राज्यसभा से विपक्ष का वॉकआउट
नयी दिल्ली, 10 मार्च (एजेंसी)
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार को हंगामे के साथ शुरू हुआ। विपक्ष दलों ने मतदाता सूची में कथित हेराफेरी और लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा किया। आसन की ओर से इन मुद्दों पर कार्यस्थगन नियम के तहत चर्चा कराए जाने की मांग खारिज किए जाने के बाद उन्होंने उच्च सदन से वॉकआउट किया। सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने विपक्षी सदस्यों के इस व्यवहार की निंदा की और आसन से आग्रह किया कि वह नेता प्रतिपक्ष सहित सभी सदस्यों को ‘रिफ्रेशर’ कोर्स करवाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, बशर्ते वे नियमों के तहत हों।
उधर, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी विभिन्न राज्यों में मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ी का मुद्दा उठाया और इस पर सदन में चर्चा की मांग की। शून्यकाल के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में मतदाता सूचियों को लेकर सवाल उठे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात से सहमत हूं कि मतदाता सूची सरकार नहीं बनाती, लेकिन पूरे देश में मतदाता सूची को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। पूरा विपक्ष यह मांग कर रहा है कि मतदाता सूची पर चर्चा
हो जाए।’
इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि उनकी पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी ने कागजात दिखाए हैं, जिससे पता चला है कि मतदाता फोटो पहचान पत्र संख्या (ईपीआईसी) का दोहराव हो रहा है। उन्होंने दावा किया, ‘कुछ गंभीर गड़बड़ी है, जिसके बारे में पहले महाराष्ट्र में बात हुई थी। हरियाणा में भी इसे लेकर बात हुई थी।’ तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने पश्चिम बंगाल और असम में भी भविष्य में इस तरह की बात सामने आने की आशंका जताई। रॉय ने कहा, ‘पूरी मतदाता सूची में व्यापक सुधार होना चाहिए। चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि यह कैसे हुआ है।’
राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति हरिवंश ने बताया कि उन्हें मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) क्रमांक के दोहराव, परिसीमन, भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिका से धन दिये जाने सहित कुछ मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने के लिए नियम 267 के तहत 12 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए।
नयी शिक्षा नीति और तीन भाषाओं के फार्मूले पर टकराव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तीन भाषाओं की नीति को लेकर लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच तीखा आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला। प्रधान ने द्रमुक पर तमिलनाडु के छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने रुख से पलटने का आरोप लगाया। वहीं राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि उसे नयी शिक्षा नीति और तीन भाषाओं का फार्मूला मंजूर नहीं है। प्रधान ने लोकसभा में द्रमुक सदस्यों के विरोध के बीच, अपने वक्तव्य से एक शब्द वापस ले लिया और आसन ने भी इस शब्द को सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया। इससे पहले, पीएमश्री योजना को लेकर द्रमुक सांसद टी सुमति के पूरक प्रश्न पर शिक्षा मंत्री के जवाब के बाद द्रमुक सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। सुमति ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार नहीं करने के कारण तमिलनाडु को पीएमश्री योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले 2,000 करोड़ रुपये की केंद्रीय राशि अन्य राज्यों को हस्तांतरित कर दी गयी है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केंद्रीय शिक्षा मंत्री के बीच सोशल मीडिया मंच पर भी वार-पलटवार का दौर चला।