नयी दिल्ली, 2 जुलाई (एजेंसी)
‘इंडिया’ गठबंधन के कई घटक दलों के नेताओं ने बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर बुधवार को निर्वाचन आयोग का रुख कर अपनी चिंताओं से अवगत कराया और इस कवायद के समय को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि इस प्रकिया से बिहार के 20 प्रतिशत मतदाताओं को मतदान से वंचित होना पड़ सकता है।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन समेत 11 दलों के नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और अन्य चुनाव आयुक्तों से मुलाकात की और राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले की जा रहे विशेष पुनरीक्षण को लेकर आपत्ति जताई। निर्वाचन आयोग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने कई बिंदु आयोग के समक्ष रखे हैं। हमने सवाल किया कि वर्ष 2003 से आज तक करीब 22 साल में बिहार में कम से कम पांच चुनाव हो चुके हैं, तो क्या वे सारे चुनाव गलत थे?’ उन्होंने कहा कि अगर आपको विशेष गहन पुनरीक्षण करना था तो इसकी घोषणा जून के अंत में क्यों की गई और इसका निर्णय कैसे और क्यों लिया गया?
सिंघवी ने कहा, ‘पिछले एक दशक से हर काम के लिए आधार कार्ड मांगा जाता रहा है, लेकिन अब कहा जा रहा है कि आपको वोटर नहीं माना जाएगा, अगर आपके पास जन्म प्रमाण पत्र
नहीं होगा।’
‘राजनीतिक दलों के ‘अनधिकृत’ लोगों के आग्रह को नहीं मानेंगे’
निर्वाचन आयोग ने विभिन्न दलों की ओर से ‘अनधिकृत’ व्यक्तियों द्वारा ‘बार-बार और अलग-अलग’ बैठक के अनुरोध किए जाने के बीच बुधवार को फैसला किया कि वह केवल राजनीतिक दलों के प्रमुखों से इस तरह के संवाद का संज्ञान लेगा।