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Operation Sindoor : CDS का अलर्ट- ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रखनी चाहिए उच्च स्तर की तैयारी

द्ध के इस परिदृश्य में, भावी सैनिकों को सूचना, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के मामले में अग्रणी होना होगा
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प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और देश को 24 घंटे व पूरे वर्ष बहुत उच्च स्तर की सैन्य तैयारी रखनी चाहिए। यहां सुब्रतो पार्क में आयोजित रक्षा संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में सेना को “सूचना योद्धाओं, प्रौद्योगिकी योद्धाओं और विद्वान योद्धाओं” की भी जरूरत होगी।

युद्ध के इस परिदृश्य में, भावी सैनिकों को सूचना, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के मामले में अग्रणी होना होगा। 'नंबर 4 वॉरफेयर एंड एयरोस्पेस स्ट्रेटेजी प्रोग्राम' के तत्वावधान में 'एयरोस्पेस पावर : प्रिजर्विंग इंडियाज सोवरेनिटी एंड फर्दरिंग नेशनल इंट्रस्ट्स' (हवाई शक्ति: भारत की संप्रभुता की सुरक्षा एवं राष्ट्रीय हितों को बढ़ाना) विषय पर यह सेमिनार आयोजित किया गया था।

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सीडीएस ने कहा कि युद्ध में कोई भी उपविजेता नहीं होता और किसी भी सेना को लगातार सतर्क रहते हुए उच्च स्तर की अभियानगत तैयारी रखनी चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर इसका एक उदाहरण है, जो अब भी जारी है। हमारी तैयारी का स्तर बहुत ऊंचा होना चाहिए, चौबीस घंटे, 365 दिन। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर शुरू करके पाकिस्तान व पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादियों के कई ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था।

पाकिस्तान ने भी भारत के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू किया और उसके हमलों का जवाब भी ऑपरेशन सिंदूर के तहत ही दिया गया। 10 मई की शाम को सहमति बनने के बाद दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच सैन्य संघर्ष रुक गया। सीडीएस ने शस्त्र और शास्त्र दोनों के बारे में सीखने के महत्व पर भी जोर दिया। जनरल चौहान ने एक विद्वान योद्धा को एक ऐसे सैन्य पेशेवर के रूप में परिभाषित किया, जिसमें बौद्धिक गहराई और युद्ध कौशल का समन्वय हो, जिसके पास मजबूत शैक्षणिक ज्ञान और व्यावहारिक सैन्य विशेषज्ञता हो, जो उसे जटिल परिस्थितियों का विश्लेषण करने और ‘सैन्य लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विविध चुनौतियों' का सामना करने में सक्षम बनाए।

प्राचीन भारतीय इतिहास से लेकर विश्व युद्धों, हाल के संघर्षों तक के आधार पर एक विद्वान और योद्धा के बीच संबंधों को परिभाषित करते हुए सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि आज के सैन्य पेशेवर को ‘एक विद्वान योद्धा, एक तकनीकी योद्धा और एक सूचना योद्धा का संतुलित मिश्रण' होना चाहिए। युद्ध की प्रकृति को बदलने वाली नई तकनीकों को समझने व लागू करने के लिए एक तकनीकी योद्धा, भारत के दृष्टिकोण को समझने, समझाने तथा गलत धारणाओं का प्रतिकार करने के लिए एक ‘सूचना योद्धा', और युद्ध के बदलते स्वरूप (विशेष रूप से हाल में हुए या जारी संघर्षों के माध्यम से परिलक्षित) पर प्रकाश डालते हुए सीडीएस ने आधुनिक युद्ध में एक विद्वान योद्धा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और भारत की संप्रभुता की रक्षा और राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका पर जोर दिया।

‘ऑपरेशन सिंदूर' पर विशेष ध्यान दिया गया और दोनों विषयगत सत्रों में इसका काफी उल्लेख किया गया। मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (एचक्यू आईडीएस) ने भी ‘एक्स' पर इस कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें साझा कीं। उन्होंने कार्यक्रम के दायरे को लगातार विकसित करने के लिए भारतीय वायुसेना, ‘कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर' और ‘सेंटर फॉर पावर स्टडीज' की सराहना की।

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