नयी दिल्ली, 18 नवंबर (एजेंसी)
दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण शादियों में 50 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक लगा दी गयी है। शादी समारोह में केवल 50 लोगों को शिरकत करने की अनुमति देने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बुधवार को मंजूरी दे दी। दिल्ली में 28 अक्तूबर के बाद से कोरोना मामलों में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। गत 11 नवंबर को यहां 8 हजार से अधिक नये मामले सामने आए थे।
इस बीच, देश में कोरोना की चपेट में आये लोगों की संख्या 89 लाख के पार पहुंच गयी है। राहत की बात यह कि इनमें से 83 लाख से अधिक लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार सुबह 8 बजे अपडेट किए आंकड़ों के अनुसार बीते 24 घंटे में 38,617 नये मामले सामने आये, जबकि 44739 लोग स्वस्थ हुए। इस अवधि में 474 संक्रमितों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1,30,993 हो गयी। देश में 4,46,805 कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 5.01 फीसदी है। मंत्रालय के अनुसार कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर 93.52 फीसदी और मृत्यु दर 1.47 फीसदी है। आईसीएमआर के अनुसार देश भर में मंगलवार को 9,37,279 कोरोना टेस्ट किए गये।
अर्द्धसैनिक बलों के डॉक्टर पहुंचे
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि कोरोना ड्यूटी के लिए अर्द्धसैनिक बलों के 45 डॉक्टर और 160 चिकित्साकर्मी दिल्ली पहुंच चुके हैं। वहीं, भारतीय रेल दिल्ली को 800 बिस्तरों वाले कोच उपलब्ध कराएगा, जिनका उपयोग स्वास्थ्य और पृथक-वास केंद्रों के रूप में होगा। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) दिल्ली हवाईअड्डे के पास स्थित कोरोना अस्पताल के आईसीयू में मौजूदा 250 बिस्तरों में 250 अतिरिक्त बिस्तर जोड़ने जा रहा है। शकूर बस्ती स्टेशन पर 800 बिस्तरों वाले कोच मुहैया कराये जा रहे हैं।
‘प्लाज्मा थेरेपी का अंधाधुंध इस्तेमाल उचित नहीं’
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने परामर्श जारी कर कहा है कि कोरोना रोगियों के उपचार में प्लाज्मा थेरेपी का अंधाधुंध इस्तेमाल उचित नहीं है। इस थेरेपी में महामारी को मात देकर ठीक हुए रोगियों के प्लाज्मा का इस्तेमाल दूसरे रोगियों के उपचार में किया जाता है। देश की शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान इकाई ने परामर्श में कहा है कि प्लाज्मा दान करने वाले व्यक्ति के शरीर में कोविड-19 के खिलाफ काम करने वाली एंटीबॉडीज की पर्याप्त सघनता होनी चाहिए। इस थेरेपी का इस्तेमाल विशिष्ट मानक पूरा होने पर आईसीएमआर के परामर्श के अनुसार ही होना चाहिए।
फाइजर का दावा- उसकी वैक्सीन 95% प्रभावी
न्यूयार्क (एजेंसी) : विश्व की अग्रणी दवा निर्माता कंपनियों फाइजर और बायो-एनटेक ने बुधवार को कहा कि उनका कोविड-19 टीका तीसरे चरण के परीक्षण के अंतिम विश्लेषण में 95 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है। इसी के साथ ये कंपनियां जल्द ही अमेरिकी नियामक से आपातकालीन मंजूरी लेने के लिए आवेदन कर सकती हैं। अमेरिकी फार्मा कंपनी और उसकी जर्मन सहयोगी बायो-एनटेक ने कहा कि यह टीक 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर भी कारगर है। कंपनियों को उम्मीद है कि वे वैश्विक स्तर पर इसी साल टीके की 5 करोड़ खुराक का उत्पादन कर लेंगी। 2021 के अंत तक यह उत्पादन 130 करोड़ खुराक तक पहुंच सकता है।
हरियाणा कोवैक्सीन ट्रायल का तीसरा चरण कल से
चंडीगढ़ (ट्रिन्यू) : हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बुधवार को कहा कि प्रदेश में कोवैक्सीन के परीक्षण का तीसरा चरण 20 नवंबर को शुरू होगा। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए विज ने स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ अहम बैठक की। उन्होंने मास्क न पहनने वालों के खिलाफ सख्ती करने और ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने का निर्देश दिया है। विज ने कहा कि यदि लोग जांच के लिए नहीं आ रहे, तो घर जाकर जांच की जाए। जगह-जगह कैंप लगाए जाएं। इस बीच, प्रदेश में 24 घंटों में 24 कोरोना संक्रमितों की मौत हो गयी और 2585 नये केस मिले।
विशेषज्ञों की राय : फाइजर, स्पुतनिक वैक्सीन भारत के लिए उपयुक्त नहीं
नयी दिल्ली (एजेंसी) : वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत के लिए कोरोना के ऐसे टीके संभवत: कारगर नहीं होंगे, जिनके भंडारण के लिए बेहद कम तापमान की आवश्यकता है। इनके बजाय प्रोटीन आधारित टीका देश के लिए उपयुक्त हो सकता है। वैज्ञानिकों ने अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे संभावित टीके को भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए कहा कि कोरोना का सही टीका खरीदने का फैसला कई कारकों पर निर्भर करेगा। यह देखना होगा कि टीका कितना सुरक्षित है, उसकी कीमत क्या है और उसे इस्तेमाल करना कितना सुविधाजनक है। इससे वे 3 संभावित टीके संभवत: नकारे जा सकते हैं, जो पिछले कुछ दिन में 90 फीसदी से अधिक प्रभावी साबित हुए हैं। इनमें शामिल फाइजर-बायोएनटेक, स्पुतनिक-पांच और माॅडर्ना के टीकों में से कोई भी प्रोटीन आधारित नहीं है। हालांकि भारतीय परिस्थितियों के लिए इनमें से संभवत: मॉडर्ना का टीका उपयुक्त है, क्योंकि इसके लिए अन्य संभावित टीकों की अपेक्षा उतने कम तापमान की आवश्यकता नहीं है।
रोग प्रतिरक्षा वैज्ञानिक सत्यजीत रथ ने कहा कि अमेरिका समर्थित फाइजर-बायोएनटेक और रूस के स्पुतनिक-पांच को नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे प्रोटीन आधारित संभावित टीके की तुलना में बेहद कम तापमान में रखने की आवश्यकता है। इसलिए भारत को नोवावैक्स या सानोफी के प्रोटीन आधारित संभावित टीके पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। विषाणु वैज्ञानिक शाहिद जमील ने कहा, ऐसा बताया जा रहा है कि मॉडर्ना के टीके को 30 दिन तक फ्रिज में और कमरे के तापमान में 12 घंटे तक रखा जा सकता है। जमील ने कहा, ‘फाइजर-बायोएनटेक टीका भारत के लिए उपयुक्त नहीं होगा, क्योंकि इसके भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता है। स्पुतनिक-पांच को शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर रखने की आवश्यकता है।’