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दिल्ली-एनसीआर में अभी चलते रहेंगे पुराने वाहन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें, चार सप्ताह में मांगा जवाब
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दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अधिकारियों को आदेश दिया कि वे उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। शीर्ष अदालत राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के निर्देश को बरकरार रखने वाले 29 अक्तूबर, 2018 के अपने फैसले को वापस लेने की मांग से संबंधित याचिका पर विचार कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश के अनुसार एनसीआर में राज्यों के परिवहन विभागों को 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़कों पर चलने से प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था। दूसरी ओर, एनजीटी ने आदेश दिया था कि 15 वर्ष से अधिक पुराने सभी डीजल या पेट्रोल वाहनों को सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी तथा इसका अनुपालन न करने की स्थिति में मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहनों को जब्त करने सहित उचित कार्रवाई की जाएगी।

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अब मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने उक्त आदेश तब पारित किया जब दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह कोई दंडात्मक कदम न उठाने का आदेश देने पर विचार करे। पीठ ने कहा, ‘नोटिस जारी करें, जिसका चार सप्ताह में जवाब दिया जाए।’ मेहता ने कहा, ‘पुलिस (पुराने) वाहनों को जब्त करने के दायित्व के अंतर्गत काम कर रही है।’

दिल्ली सरकार ने 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है। सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि प्रतिबंध के कारण लोगों के पास अपने पुराने वाहन बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट...

हम निर्देश देते हैं कि वाहन मालिकों के खिलाफ इस आधार पर कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाए कि उनके डीजल वाहन 10 साल और पेट्रोल वाहन 15 साल

पुराने हैं।

याचिका...

केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) व्यापक अध्ययन करें, जिसमें अवधि-आधारित प्रतिबंधों के मुकाबले उत्सर्जन-आधारित मानदंडों से पर्यावरण पर असर को आंका जाये।

सुनवाई के दौरान रखे गए ये तर्क

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि घर से अदालत आने-जाने के लिए किसी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला वाहन 10 साल में केवल 2,000 किलोमीटर ही चल पाएगा, लेकिन प्रतिबंध के कारण उसे इसे बेचना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति वाहन को टैक्सी के रूप में उपयोग कर रहा है तो दो वर्षों में यह एक लाख किलोमीटर से अधिक चल सकता है, लेकिन फिर भी यह गाड़ी अगले आठ वर्षों तक सड़कों पर दौड़ सकती है।

फैसला लोगों के लिए बड़ी राहत : सिरसा

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह दिल्लीवासियों के लिए बड़ी राहत है। उन्होंने कहा कि अदालत ने यह आदेश तब दिया है जब दिल्ली सरकार ने कोर्ट से आग्रह किया कि ‘वाहन की समय सीमा समाप्त’ होने संबंधी नीति लागू करते समय इनके निर्माण वर्ष के बजाय वास्तविक इस्तेमाल पर विचार किया जाए। गौर हो कि पुराने वाहनों पर िववाद के बाद सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा था।

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