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अफसरों में था चौटाला का खौफ, तकिये के नीचे रखते थे डायरी

आधी रात में भी कर देते थे डीसी-एसपी को फोन, हर घटना पर खुद लेते थे नोटिस
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हरियाणा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला। -फाइल फोटो
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 20 दिसंबर

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हरियाणा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के नाम से अधिकारियों में अलग ही तरह का खौफ था। वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ जितने सॉफ्ट थे, अधिकारियों के साथ उतने ही कड़क भी। चौटाला राज में अधिकारियों मुख्य रूप से जिलों के डीसी-एसपी और मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की स्थिति यह थी कि वे रात को सोते समय तकिये के नीचे डायरी रखा करते थे। उन्हें इस बात का पता था कि चौटाला कभी भी फोन कर सकते हैं। वे आधी रात को भी अधिकारियों को फोन करके रिपोर्ट ले लिया करते थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम के रूप में अपने समकक्ष हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के साथ प्रसन्न मुद्रा में।

बेशक, कई मामलों की वजह से चौटाला विवादों में भी रहे। लेकिन आम लोगों के साथ-साथ अधिकारियों व उनके राजनीतिक विरोधियों की भी यह धारणा रही कि चौटाला कड़क प्रशासकों में रहे। इतना ही नहीं, 1999 से लेकर 2005 तक के उनके कार्यकाल के दौरान हरियाणा के अधिकांश बजट सरप्लस रहे। उन्होंने कभी भी घाटे वाला बजट पेश नहीं किया। सरकारी खजाने में गड़बड़ उन्हें किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं थी। सरकारी पैसों में धांधली के मामलों में वे कड़ा एक्शन लेने के लिए जाने जाते थे।

चौ. बंसी लाल और भजन लाल के साथ पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल जैकेब को ज्ञापन देते हुए।

चौटाला राज में काम कर चुके कुछ अधिकारी व कर्मचारी बताते हैं कि एक बार विपक्ष के एक नेता ने चौटाला सरकार पर कटाक्ष कर दिया कि उनकी सरकार में कई अधिकारी रात को पार्टियां करते हैं और शराब के नशे में रहते हैं। इसकी भनक चौटाला को लगी तो उन्होंने सभी अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर कह दिया कि वे रात में कभी भी फोन कर सकते हैं। इसके बाद अधिकारियों ने डायरी ओर पेन अपने साथ रखना शुरू कर दिया। चौटाला ने ऐसा किया भी। चंडीगढ़ से निकल कर जब वे फील्ड में होते थे तो उस एरिया के अधिकारियों की नींद हराम रहती थी।

तिहाड़ में पास की 12वीं

जेबीटी भर्ती मामले में तिहाड़ में बंद रहे चौटाला ने जेल में रहते हुए ही दसवीं और बारहवीं की परीक्षा पास की। प्रारंभिक पढ़ाई उन्होंने बहुत पहले छोड़ दी थी। अहम बात यह है कि दसवीं पास हुए बिना भी वे प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी व उर्दू के अलावा कई भाषाओं का ज्ञान था। तिहाड़ में रहते हुए दसवीं और 12वीं पास करने के बाद बॉलीवुड ने ‘दसवीं’ के नाम से फिल्म भी बनाई। अभिषेक बच्चन इस फिल्म में मुख्य भूमिका में दिखे।

इमरजेंसी में भी रहे जेल

ओमप्रकाश चौटाला ने जेबीटी भर्ती से पहले आपातकाल के समय में भी 19 माह के लगभग जेल काटी थी। इसी दौरान उनकी मुलाकात भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं के साथ हुई। भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी उनके घनिष्ठ संबंध रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी चौटाला की मुलाकातें उस समय अधिक हुईं, जब मोदी हरियाणा मामलों के प्रभारी हुआ करते थे।

देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ओपी चौटाला।
तीन दिन का राजकीय शोक

हरियाणा सरकार ने चौटाला के निधन पर प्रदेश सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। चौटाला परिवार का कहना है कि शनिवार को उनका अंतिम संस्कार तेजाखेड़ा में किया जाएगा। चौटाला का पार्थिक शरीर शनिवार को सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा। इसके बाद तीन बजे तेजा खेड़ा में उनका अंतिम संस्कार होगा। मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से चौटाला के निधन के बाद जारी अधिसूचना के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर शोक स्वरूप तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। 21 दिसंबर को प्रदेश में एक दिन का सरकारी अवकाश होगा। 22 दिसंबर तक सरकारी इमारतों पर लगे राष्ट्रीय ध्वज झुके रहेंगे और किसी प्रकार का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा। मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से जारी आदेशों के अनुसार, सिरसा डीसी व एसपी पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला की अंतिम रस्मों के संबंध में होने वाले आयोजनों की निगरानी करेंगे।

तिहाड़ से आते ही हुए एक्टिव

2 जुलाई, 2021 को चौटाला को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से बाहर आते ही वे राजनीति में फिर से एक्टिव हो गए। हालांकि इससे पहले भी वे लोकसभा व विधानसभा चुनावों के अलावा जब कभी भी फरलो व पैरोल पर बाहर आए तो फिर भी उन्होंने अपने वर्करों के साथ संपर्क बनाकर रखा। जेबीटी भर्ती मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने जनवरी-2013 में उन्हें दोषी ठहराते हुए दस साल की सजा सुनाई थी।

धर्मपत्नी स्नेहलता के साथ ओमप्रकाश चाैटाला।
पहला चुनाव हार गए थे चौटाला

चौटाला की एक खासियत यह भी रही कि वे चुनाव लड़ने से कभी पीछे नहीं हटे। 1968 में उन्होंने ऐलनाबाद हलके से पहला चुनाव लड़ा और वे पहला ही चुनाव हार गए। चौटाला ने चुनाव नतीजों को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी और एक साल बाद हाईकोर्ट ने विधायक बने लालचंद खोड़ की सदस्यता रद्द कर दी। 1970 में हुए उपचुनाव में चौटाला ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे।

महम कांड से आए विवादों में

1989 में चौ. देवीलाल जब उपप्रधानमंत्री बन गए तो चौटाला को मुख्यमंत्री बनाया गया। महम उपचुनाव में चौटाला मैदान में उतरे। स्थानीय लोग चौटाला की बजाय स्थानीय उम्मीदवार आनंद सिंह दांगी को चुनाव लड़वाना चाहते थे। इस वजह से महम कांड हुआ और कई लोगों की जान भी गई। महम कांड की वजह से चौटाला विवादों में भी घिरे। चुनाव आयोग ने हिंसा के बाद जब उपचुनाव रद्द कर दिया तो नये सिरे से इसकी घोषणा हुई। दूसरी बार भी हिंसा हुई। महम कांड की वजह से ही चौटाला को मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था।

पोता भी पहुंचा विधानसभा

ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला का बेटे अर्जुन सिंह चौटाला भी इस बार विधानसभा पहुंच गया। अर्जुन ने रानियां से जीत हासिल की है। हालांकि उनके बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला के पुत्र दुष्यंत चौटाला 2014 में हिसार से सांसद और 2019 में उचाना कलां से विधायक बने। दुष्यंत चौटाला करीब साढ़े चार वर्षों तक भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रहे।

परिवार व पार्टी में हुआ बिखराव

सितंबर-2018 में देवीलाल जयंती के मौके पर गोहाना में हुई इनेलो की रैली से ही पार्टी और परिवार में फूट के बीज पड़ गए थे। यही वह रैली थी, जिसमें दुष्यंत चौटाला के नाम के नारे लगे थे। चौटाला ने दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निष्कासित भी कर दिया था। 2019 में दुष्यंत चौटाला ने जींद में रैली करके जननायक जनता पार्टी (जजपा) का गठन किया। 2019 के विधानसभा चुनावों में दुष्यंत की पार्टी 10 सीटों पर जीत हासिल करके सरकार में गठबंधन सहयोग बनने में कामयाब रही। हालांकि इस दौरान कई बाद चौटाला परिवार को एक करने की कोशिशें हो चुकी हैं, लेकिन बात नहीं बन पाई।

तीसरे मोर्चे की करते रहे कोशिशें

चौटाला भी अपने पिता चौ. देवीलाल की तरह राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस व भाजपा के खिलाफ तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिशें करते रहे। पंजाब के भूतपूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के अलावा बिहार के सीएम नीतीश कुमार, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सहित कई दिग्गज नेताओं ने उनके इस प्रयास में मदद भी की। इन नेताओं ने दर्जनों बार मंच भी साझा किए। लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया।

जेबीटी भर्ती मामले में काटी सजा

1999-2000 के दौरान हुई जेबीटी भर्ती मामले की सीबीआई जांच के बाद नई दिल्ली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने चौटाला को भर्ती मामले में दोषी करार दे दिया। उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई। तिहाड़ जेल में 8 वर्षों तक रहे चौटाला को दस वर्षों की सजा पूरी होने के बाद रिहा कर दिया गया। इस मामले में उनके बड़े बेटे व वर्तमान में जजपा सुप्रीमो डॉ. अजय सिंह चौटाला ने भी दस वर्षों की सजा काटी है।

चौटाला के निधन पर शोक संदेश

प्रदेश की राजनीति में चौटाला साहब बरसों तक सक्रिय रहे। चौधरी देवीलाल के कार्यों को आगे बढ़ाने का निरंतर प्रयास किया। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन की खबर सुनकर अत्यंत दुख हुआ। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिवारजनों व समर्थकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। -राहुल गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष

हरियाणा की राजनीति के एक अध्याय का अंत हो गया है। ओपी चौटाला की कमी को पूरा कर पाना मुश्किल है। उनका व्यक्तित्व सादगी और संघर्ष का प्रतीक था। वे एक दूरदर्शी नेता थे। -नायब सिंह सैनी, हरियाणा के मुख्यमंत्री

प्रदेश के विकास में चौटाला साहब के अहम योगदान को सदैव याद किया जाएगा। चौटाला ने गरीब, मजदूर और कमेरे वर्ग की लड़ाई हमेशा लड़ी। -मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री

चौटाला एक अनुभवी राजनीतिज्ञ और दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने अपना जीवन हरियाणा के लोगों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। विशेषकर किसानों के कल्याण के लिए उनकी प्रतिबद्धता को हमेशा याद किया जाएगा। -बंडारु दत्तात्रेय, राज्यपाल हरियाणा

चौटाला परिवार के साथ पारिवारिक और राजनीतिक दोनों तरह के प्रगाढ़ संबंध रहे हैं। इस तरह से अचानक उनका चले जाना बेहद दुखद है। चौटाला का एक लंबा सार्वजनिक जीवन रहा और उन्होंने अपने सीएम के कार्यकाल में प्रदेश के विकास में काफी योगदान दिया। -भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा के पूर्व सीएम

आज देश ने अपने सबसे शानदार वक्ताओं में शामिल एक नेता को खो दिया है। गांव में लोगों की पहचान और उम्र के अंतिम पड़ाव तक जीवन जीने के जज्बे के लिए चौटाला साहब सदैव याद किए जाएंगे।

-बीरेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री

मेरे पिता समान ओमप्रकाश चौटाला ने पूरी जिंदगी किसानों और गरीबों के लिए संघर्ष किया। वे ऐसे समय में स्वर्ग सिधारे हैं, जब किसान न्याय के लिए लड़ रहे हैं। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत अपूर्णीय क्षति है। -सुखबीर सिंह बादल, पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम

चौटाला एक प्रख्यात राजनेता और समाजसेवी थे। उनके निधन से मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत दुख पहुंचा है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिर शांति तथा उनके परिजनों व प्रशंसकों को दुख सहन करने शक्ित प्रदान करें। -नीतीश कुमार, बिहार के मुख्यमंत्री

पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो प्रमुख चौटाला के निधन की खबर अति दुखद है। उनके परिवार के लोगों व समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। कुदरत उन सबको इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। -मायावती, यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री

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