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Nun Arrest Case : कांग्रेस सांसदों ने भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप, नन गिरफ्तारी मामले को कोर्ट में भेजने को बताया साजिश

नन गिरफ्तारी मामला: कांग्रेस सांसदों ने एनआईए अदालत में मामला भेजने को साजिश बताया
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Nun Arrest Case : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के केंद्रीय कारागार में बंद दो ननों से मिलने के लिए केरल से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को छत्तीसगढ़ पहुंचा। दो कैथोलिक ननों को मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने आरोप लगाया कि दुर्ग सत्र अदालत द्वारा मामले को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत में भेजना एक साजिश है जिससे गिरफ्तार ननों को तुरंत जमानत न मिल सके। बजरंग दल के स्थानीय पदाधिकारी की शिकायत पर 25 जुलाई को राजकीय रेल पुलिस ने नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के साथ सुकमन मंडावी नामक एक व्यक्ति को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। पदाधिकारी ने ननों और मंडावी पर नारायणपुर की तीन लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन और उनकी तस्करी करने का आरोप लगाया था।

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केरल से छत्तीसगढ़ पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में हिबी ईडन और कोडिकुन्निल सुरेश सहित चार सांसद शामिल हैं। रायपुर हवाई अड्डे पर ‘पीटीआई वीडियो' से बात करते हुए, सुरेश ने बताया कि चार सांसदों वाली एआईसीसी की टीम दुर्ग जेल जाएगी और दोनों ननों से मुलाकात करेगी। सुरेश ने कहा, ‘‘केरल में, ननों की गिरफ्तारी के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। वे छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में गरीब लोगों की सेवा कर रही हैं। जहां भी भाजपा सत्ता में है, ननों, पादरियों और अन्य मिशनरियों पर हमले हो रहे हैं जो ठीक नहीं है।''

उन्होंने कहा कि हमारा देश लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष है और हमारा संविधान धर्म की स्वतंत्रता देता है। सुरेश ने कहा, ''सत्र न्यायालय ने मामले को एनआईए (अदालत) को भेज दिया। एनआईए (अदालत) में मुकदमे का कोई कारण नहीं है। साजिश है, इसलिए मामला एनआईए को भेजा गया है। एनआईए का मतलब है कि एक लंबी प्रक्रिया और तुरंत जमानत नहीं मिलेगी। इसलिए उन्होंने (मामला) एनआईए अदालत को भेज दिया है।'' एक अन्य सांसद, ईडन ने कहा कि अगर यह स्थानीय पुलिस या स्थानीय अदालत का अधिकार क्षेत्र नहीं है, और एनआईए इस मामले की जांच कर रही है, तो वे पिछले पांच दिनों से जेल में क्यों हैं?

उन्होंने कहा, ''हम सभी यहां उन ननों के साथ एकजुटता में हैं जो पिछले छह दिनों से कष्ट झेल रही हैं। उनके खिलाफ गलत मामला और गलत आरोप लगाए गए हैं। यह गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण है। उन्हें जेल में रखना एक खास राजनीतिक दल की नीति है, और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।'' ईडन ने कहा, ''उत्तरी भारत में अगर आपको कोई धार्मिक आयोजन करना है, तो आपको स्थानीय संघ परिवार से अनुमति लेनी होगी...यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। केरल के धर्मनिरपेक्ष लोग इसका जवाब ज़रूर देंगे।'' उन्होंने कहा, ''हमने सरकार से उचित कदम उठाने का अनुरोध किया है। यह एक गलत गिरफ्तारी है... हमने गृह मंत्री से भी मुलाकात की है और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने इसे बहुत गंभीरता से लिया है। मुझे उम्मीद है कि वे इसे समझेंगे।''

इससे पहले 29 जुलाई को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ गठबंधन एक दल छत्तीसगढ़ पहुंचा था। भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी से राजनीतिक विवाद छिड़ गया है, कांग्रेस और माकपा ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हालांकि विपक्ष पर "मामले का राजनीतिकरण" करने का आरोप लगाया। दुर्ग जिले की एक सत्र अदालत ने बुधवार को कहा कि उसे तीनों आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करने का अधिकार नहीं है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनीश दुबे ने जमानत याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि उन्हें राहत के लिए विशेष एनआईए अदालत का रुख करना होगा। कथित मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण की एक पीड़िता ने आरोप लगाया है कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उसे झूठा बयान देने के लिए मजबूर किया और उसके साथ मारपीट की, इस आरोप का दक्षिणपंथी संगठन ने खंडन किया है। कमलेश्वरी प्रधान (21) ने दावा किया कि पुलिस ने उसका बयान भी ठीक से दर्ज नहीं किया। उन्होंने आगे कहा कि उनका परिवार पिछले चार-पांच सालों से ईसाई धर्म का पालन कर रहा है।

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