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नेहरू के फूलपुर में अब विडंबनाओं के फूल!

कृष्ण प्रताप सिंह फूलपुर। ‘प्रधानमंत्रियों के प्रदेश’ उत्तर प्रदेश में पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की लोकसभा सीट फूलपुर की विडंबनाएं अब किसी भी अन्य प्रधानमंत्री की सीट से बड़ी हो चुकी हैं। इसे यूं समझ सकते हैं कि उसके...
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कृष्ण प्रताप सिंह

फूलपुर। ‘प्रधानमंत्रियों के प्रदेश’ उत्तर प्रदेश में पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की लोकसभा सीट फूलपुर की विडंबनाएं अब किसी भी अन्य प्रधानमंत्री की सीट से बड़ी हो चुकी हैं। इसे यूं समझ सकते हैं कि उसके सांसदों की सूची में अब पं. नेहरू के साथ अतीक अहमद व कपिलमुनि करवरिया जैसे बाहुबलियों के नाम भी दर्ज हो चुके हैं।

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प. नेहरू के निधन के बाद उनकी पार्टी कांग्रेस यहां उनकी विरासत को पांच साल भी नहीं बचा पाई थी। 1964 के उपचुनाव और 1967 के आमचुनाव में उनकी बहन विजयालक्ष्मी पंडित जीत जरूर गई थीं, लेकिन दो ही साल बाद वे संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि बन गईं और उनके इस्तीफे के साथ ही नेहरू परिवार से इसका नाता टूट गया। इस टूटन ने छात्र आंदोलन से निकले युवा संसोपा नेता जनेश्वर मिश्र को उपचुनाव में कांग्रेस के केशवदेव मालवीय को शिकस्त देकर नया इतिहास रचने का बेहद आसान मौका उपलब्ध करा दिया। उसके बाद 1999 तक हुए नौ चुनावों में 1971 (विश्वनाथ प्रताप सिंह) और 1984 (रामपूजन पटेल) में ही कांग्रेस प्रत्याशी जीत पाये।

1989 में रामपूजन पटेल के पाला बदलकर जनता दल में चले जाने के बाद तो कांग्रेस यहां मुख्य मुकाबले तक से बाहर रहने लगी। 2004 में यहां से सपा के बाहुबली अतीक अहमद चुने गये, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, तो 2009 में बसपा के बाहुबली कपिलमुनि करवरिया।

2014 के लोकसभा चुनाव में क्रिकेटर मोहम्मद कैफ कांग्रेस के प्रत्याशी बने तो उनकी जमानत तक नहीं बची और 2019 में कांग्रेस के पंकज पटेल को कैफ के 58,127 से भी कम महज 32,761 वोट ही मिले। फिलहाल, नेहरू की इस सीट पर भाजपा काबिज है और बेबस कांग्रेस ने सपा से गठबंधन कर इस बार यह सीट उसके लिए छोड़ दी है, जिससे ईवीएम में उसका चुनाव निशान तक नहीं होगा।

भाजपा की बात करें तो उसने 2019 में चुनी गईं अपनी सांसद केशरी देवी पटेल का टिकट काटकर विधायक प्रवीण पटेल को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने 2002 के विधानसभा चुनाव में बाहुबली अतीक अहमद का मुकाबला कर चुके अपने प्रदेश सचिव अमर नाथ मौर्य को। दूसरी ओर बसपा ने अपने संस्थापक कांशीराम के नजदीकी रहे जगन्नाथ पाल को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।

अब तक नौ प्रधानमंत्री

प्रसंगवश, अब तक उत्तर प्रदेश ने देश को रिकाॅर्ड नौ प्रधानमंत्री दिये हैं। इनमें दो ने एक से ज्यादा लोकसभा सीटों का प्रतिनिधित्व किया है, इसलिए प्रधानमंत्रियों के क्षेत्र नौ से ज्यादा हैं- फूलपुर (पं. जवाहरलाल नेहरू व विश्वनाथ प्रताप सिंह), इलाहाबाद (लाल बहादुर शास्त्री व विश्वनाथ प्रताप सिंह), रायबरेली (इंदिरा गांधी), बागपत (चौधरी चरण सिंह), अमेठी (राजीव गांधी), फतेहपुर (विश्वनाथ प्रताप सिंह), बलिया (चन्द्रशेखर), लखनऊ व बलरामपुर (अटल बिहारी वाजपेयी) और वाराणसी (नरेन्द्र मोदी)।

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