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RBI रेपो दर ही नहीं, कई और कारणों से भी गिरी वृद्धि : शक्तिकांत

बतौर आरबीआई गवर्नर कार्यकाल के अंतिम दिन साझा किए अनुभव
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निवर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास।
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मुंबई, 10 दिसंबर (एजेंसी)

RBI भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निवर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि में नरमी के लिए सिर्फ रेपो दर नहीं, बल्कि कई अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं।

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केंद्रीय बैंक प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम दिन संवाददाता सम्मेलन में दास ने कहा कि वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन को बहाल करना केंद्रीय बैंक के समक्ष सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। दास ने अपने छह साल के कार्यकाल में कोविड-19 वैश्विक महामारी के अलावा यूक्रेन तथा पश्चिम एशिया में युद्ध जैसी प्रमुख भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था को संभाला है। दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने लगातार 11 बार से रेपो दर में बदलाव नहीं किया। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल ने हाल के दिनों में नीतिगत दरों में कमी करने की सार्वजनिक तौर वकालत की थी। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आने के बाद रेपो दर में कटौती की मांग और तेज हो गई है। निवर्तमान गवर्नर ने कहा कि उनके उत्तराधिकारी के पास व्यापक अनुभव है और वह सर्वोत्तम काम करेंगे। दास से उनके अधूरे एजेंडा पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आरबीआई जैसी बड़ी संस्था में हमेशा काम जारी रहता है और हमेशा ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें पूरा किए जाने की जरूरत होती है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि ‘परिवर्तनकारी’ एकीकृत ऋण इंटरफेस (यूएलआई) को राष्ट्रीय स्तर पर पेश किया जाएगा और केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को आगे बढ़ाया जाएगा।

साइबर सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताया

दास ने कहा कि साइबर सुरक्षा पर भी भविष्य में पर्याप्त ध्यान देने की आवश्यकता होगी। हालांकि, केंद्रीय बैंक द्वारा वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर बहुत कठोर होने की धारणा गलत है।

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