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बाढ़ राहत में सीएसआर फंड न देना मानवाधिकार हनन : आयोग

मुख्य सचिव सभी कंपनियों से नियमों का पालन कराएं
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पंजाब और चंडीगढ़ मानवाधिकार आयोग ने हाल की बाढ़ त्रासदी पर कंपनियों की चुप्पी को गंभीर माना है। आयोग ने कहा कि कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत अनिवार्य योगदान न देना मानवाधिकार उल्लंघन है। आयोग ने पंजाब के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि राज्य में पंजीकृत सभी कंपनियों से सीएसआर नियमों का पालन कराते हुए राहत कार्यों में योगदान सुनिश्चित किया जाए।

यह आदेश आयोग के अध्यक्ष जस्टिस संत प्रकाश और सदस्य जस्टिस गुरबीर सिंह की पीठ ने दिया। मामला चंडीगढ़ निवासी डॉ. पंडितराव धरेनवर की शिकायत पर सामने आया। उन्होंने आरोप लगाया था कि भारी तबाही के बावजूद कंपनियों ने कोई मदद नहीं की। शिकायत में यह भी कहा गया था कि सभी कंपनियां अपनी आय का कम से कम 1 फीसदी मुख्यमंत्री बाढ़ राहत कोष में दें।

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आयोग ने स्पष्ट किया कि कंपनियों अधिनियम, 2013 के तहत पात्र कंपनियों को पिछले तीन वर्षों के औसत लाभ का 2 फीसदी सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य है, जिसमें आपदा राहत और पुनर्वास भी शामिल हैं।

आयोग ने टिप्पणी की कि सीएसआर केवल कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है। आयोग ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों की अनदेखी करना कानून और समाज दोनों के साथ अन्याय है। अब यह मामला 1 अक्तूबर को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। आदेश की प्रति रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, चंडीगढ़ सहित अन्य संबंधित संस्थाओं को भी भेजी गई है।

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