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सरकार के खिलाफ आदेश से कतराते हैं गैर-न्यायिक सदस्य

भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि न्यायाधिकरणों के कुछ गैर-न्यायिक सदस्य, जो आमतौर पर पूर्व नौकरशाह होते हैं, सरकार के खिलाफ कोई भी आदेश पारित करने से कतराते हैं। ऐसे कुछ न्यायाधीश... यह नहीं...
नयी दिल्ली में शनिवार को दीप जलाकर एक कार्यक्रम की शुरुआत करते सीजेआई बीआर गवई। साथ हैं केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जितेंद्र सिंह एवं अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी एवं जस्टिस जेके माहेश्वरी। -एएनआई
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भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि न्यायाधिकरणों के कुछ गैर-न्यायिक सदस्य, जो आमतौर पर पूर्व नौकरशाह होते हैं, सरकार के खिलाफ कोई भी आदेश पारित करने से कतराते हैं। ऐसे कुछ न्यायाधीश... यह नहीं भूलते कि वे प्रशासन से आते हैं। उन्होंने ऐसे सदस्यों से इस धारणा को तोड़ने का आग्रह किया।

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के 10वें अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में न्यायाधिकरणों और देश की न्याय प्रणाली से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाए।

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सीजेआई गवई ने कहा कि प्रशासनिक न्यायाधिकरण में विविधता एक ताकत है, यह न्यायिक कौशल और प्रशासनिक अनुभव को एक साथ लाती है। लेकिन यह आवश्यक है कि सदस्यों को लगातार प्रशिक्षित किया जाए। पात्रता और आचरण के समान मानकों का पालन कराया जाए।

अदालती आदेशों के खिलाफ अपील की प्रवृत्ति से गुरेज करें अिधकारी : मेघवाल

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सम्मेलन में कहा कि सरकारी विभागों में अदालती आदेशों को चुनौती देने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कई बार अदालतों द्वारा ठोस फैसले दिए जाने के बावजूद सरकारी विभाग अपील दायर कर देते हैं। उन्होंने संकेत दिया कि कभी-कभी अधिकारी अपनी जान बचाने के लिए अदालत या कैट के आदेशों को चुनौती देने के लिए अपील दायर करते हैं।

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