वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की शुक्रवार को घोषणा की गई। मारिया को एक ऐसी महिला के रूप में मान्यता दी गई, जिन्होंने ‘गहराते अंधकार के बीच लोकतंत्र की लौ जलाए रखी है।’
यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। ट्रंप भारत-पाक संघर्ष समेत कई युद्ध रुकवाने का श्रेय लेते हुए नोबेल शांति पुरस्कार की दावेदारी कर रहे थे। रिपब्लिकन नेताओं से लेकर दुनिया के कई नेताओं ने ट्रंप को यह पुरस्कार दिये जाने की वकालत की थी। पुरस्कार की घोषणा से पहले ट्रंप ने शुक्रवार को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष व्यापार और टैरिफ के माध्यम से रुकवाने का अपना दावा फिर दोहराया।
नॉर्वे की नोबेल समिति के अध्यक्ष जॉर्गन वात्ने फ्रिडनेस ने कहा कि वेनेजुएला में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्ष की उम्मीदवार रहीं मारिया को राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार के खिलाफ ‘कभी गहराई तक विभाजित विपक्ष को एकजुट करने वाली महत्वपूर्ण शख्सियत’ के रूप में सराहा गया है। फ्रिडनेस ने कहा कि मारिया पिछले एक साल से छिपकर रहने के लिए मजबूर हैं। जान को गंभीर खतरे के बावजूद वह देश में ही हैं और इस फैसले ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि जब अधिनायकवादी सत्ता पर कब्जा कर लेते हैं, तो आजादी की रक्षा करने वाले उन साहसी नायकों को मान्यता देना अहम हो जाता है, जो आवाज उठाते हैं और प्रतिरोध करते हैं।
नोबेल समिति के लिए राजनीति शांति से ऊपर : व्हाइट हाउस
अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास व्हाइट हाउस के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने कहा कि नोबेल समिति ने साबित कर दिया है कि वह राजनीति को शांति से अधिक महत्व देती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप दुनियाभर में शांति समझौते करवाना, युद्ध-संघर्ष को समाप्त करवाना और लोगों की जान बचाना जारी रखेंगे।