नयी दिल्ली, 7 अप्रैल (एजेंसी)
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के मसौदे में सुझाव दिया गया है कि लिखित परीक्षा तीसरी कक्षा से शुरू होनी चाहिए। यानी दूसरी कक्षा तक कोई लिखित परीक्षा नहीं हो। मसौदे में कहा गया है कि मूल्यांकन की पद्धति ऐसी होनी चाहिए जिससे छात्र पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़े। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार तैयार किए जा रहे एनसीएफ में यह भी कहा गया है कि छात्रों के मूल्यांकन के लिए दो महत्वपूर्ण पद्धतियों में बुनियादी स्तर पर बच्चे के आकलन और सीखने के दौरान उसके द्वारा तैयार सामग्री का विश्लेषण अहम है। इसमें यह भी कहा गया है कि विशिष्ट जांच और परीक्षा बुनियादी स्तर अर्थात दूसरी कक्षा तक के बच्चों के मूल्यांकन के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त हैं।
मसौदे के अनुसार, सीखने के परिणाम एवं क्षमता संबंधी उपलब्धता का मूल्यांकन करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। ऐसे में शिक्षक को एक समान सीखने के परिणाम के मूल्यांकन के लिए विभिन्न प्रकार की पद्धति तैयार करनी चाहिए तथा उन्हें उपयुक्त तरीके से प्रयोग करना चाहिए। छात्रों की प्रगति की व्याख्या एवं विश्लेषण नियोजित तरीके से साक्ष्य जुटाकर किया जाए।
पूरी शिक्षा प्रणाली को बदलने की कवायद
वर्ष 2020 में पेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा सहित पूरी शिक्षा प्रणाली को बदलना है। डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्रालय ने एनसीएफ को शुरू करने और इसका मार्गदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया। शिक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को एनसीएफ पर पूर्व मसौदा जारी किया और इस पर विभिन्न हितधारकों से प्रतिक्रिया मांगी गई है। एनसीएफ को आखिरी बार 2005 में संशोधित किया गया था।