नयी दिल्ली, 17 नवंबर (एजेंसी)
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर बुधवार को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अपने अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए ‘वर्क फ्रॉम होम’ के बजाय हमने ‘पूलिंग’ करने का परामर्श जारी किया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि केंद्र के अधिकारियों के लिए घर से काम करने के मुद्दे पर विचार किया गया, लेकिन उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुल वाहन ज्यादा नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाये हैं, जिनमें सभी शिक्षण संस्थानों को पूरी तरह बंद करना, ट्रकों के प्रवेश पर रोक और राष्ट्रीय राजधानी के 300 किलोमीटर के दायरे में 6 ताप विद्युत संयंत्र बंद करना शामिल है। एनसीआर के राज्यों की सरकारें और दिल्ली सरकार अपने कम से कम 50 प्रतिशत कर्मचारियों को 21 नवंबर तक घरों से काम करने की अनुमति देंगी। केंद्र की दलीलों पर गौर करते हुए शीर्ष अदालत ने दिल्ली और एनसीआर संबंधी राज्यों को वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए मंगलवार को हुई बैठक में लिए गये इन फैसलों का पालन करने का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की 3 सदस्यीय पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 24 नवंबर की तारीख तय की। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोई कड़ा आदेश नहीं देने का अनुरोध करते हुए कहा कि विभिन्न कदम उठाए गये हैं। मंगलवार को इस मुद्दे पर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों की बैठक हुई थी।
इस बीच, दिल्ली सरकार ने अगले आदेश तक स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने तथा निर्माण कार्याें पर प्रतिबंध 21 नवंबर तक बढ़ाने का निर्णय किया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि उनकी सरकार ने कर्मचारियों को घर से काम करने की सुविधा रविवार तक बढ़ा दी है। सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाने के लिए एक हजार निजी सीएनजी बसों को लाया जाएगा।
पीठ ने कहा- नौकरशाही में निष्कि्रयता
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नौकरशाही की आलोचना करते हुए तीखी टिप्पणी की। पीठ ने कहा, ‘काफी समय से यह महसूस हो रहा है कि नौकरशाही में एक तरह की निष्कि्रयता विकसित हो गई है। वह कोई निर्णय लेना नहीं चाहती। किसी कार को कैसे रोकें, किसी वाहन को कैसे जब्त करें, आग पर कैसे काबू पाएं, यह सब कार्य इस अदालत को करना है। हर काम हमें ही करना होगा। यह रवैया अधिकारी वर्ग ने विकसित किया है।’ पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण पर केंद्र की बैठक मंगलवार को हुई, क्या वे बैठक में की गयी चर्चा का सार तैयार नहीं कर सके कि ‘ये सब निर्देश हमने जारी किये हैं, ताकि अदालत के बहुमूल्य समय को बचाया जा सके।’
सॉलिसिटर जनरल ने सुनाई कहानी : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान एक काल्पनिक घटना का जिक्र करते हुए कहा, ‘एक राजा ने एक बार फैसला किया कि कोई भी भूखा नहीं सोएगा। एक घुड़सवार सो रहा था, अधिकारियों ने उसे जगाया और पूछा कि क्या वह भूखा है। जब घुड़सवार ने कहा कि हां मैं भूखा हूं, तब उसे सोने नहीं दिया गया। इस तरह, किसी को भी सोने की अनुमति नहीं दी गई।’ उन्होंने कहा कि उनका यह कथन किसी व्यक्ति के प्रति बगैर किसी राग द्वेष के हल्के-फुल्के अंदाज में है।